चाचा पशुपति पारस के खिलाफ अब यहां जाने की तैयारी कर रहे चिराग पासवान

लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) में टूट होने के बाद से जारी आंतरिक विवाद (LJP dispute) फिलहाल थामता हुआ नहीं दिख रहा है। अब चिराग पासवान (चिराग पासवान) अपने चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) के लोकसभा में सदन का नेता बनने के खिलाफ डबल बेंच से गुहार लगाने तैयारी में हैं। चिराग पासवान की दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में चाचा पारस के खिलाफ यह याचिका पूर्व में खारिज हो चुकी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने पशुपति पारस के खिलाफ दायर इस याचिका को निराधार करार देते हुए रद्द कर दिया था। अब चिराग पासवान दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को डबल बेंच में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। चिराग पासवान के के वकील अरविंद कुमार वाजपेयी ने मीडिया कर्मियों से बातचीत करते वक्त यह बात बताई।
चिराग के वकील ने बताया कि वो अब इस याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच में दर्ज कराएंगे। आपको बता दें हाईकोर्ट ने दो दिन पहले ही एलजेपी नेता चिराग पासवान की उस रिट को रद्द किया था। याचिका में चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की तरफ से पशुपति कुमार पारस को लोकसभा सदन में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता देने को लेकर चुनौती दी थी। इसमें बिरला की ओर से जारी में 14 जून के परिपत्र को खारिज करने की मांग उठाई गई थी। इस परिपत्र में चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस का नाम लोकसभा में एलजेपी के नेता के तौर पर दिखाया गया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में जिक्र किया था कि उक्त केस पहले से लोकसभा अध्यक्ष के पास है। इस वजह से इस केस में आदेश देने का औचित्य नहीं है।
अदालत में चिराग के वकील ने कई दलील दीं। पर कोर्ट ने उनकी दलीलों पर ध्यान नहीं दिया। चिराग के वकील पर अदालत ने एक दलील को लेकर जुर्माना लगाने तक की चेतावनी दे दी थी। वकील ने कहा था कि लोकसभा में पारस को एलजेपी नेता चुना गया है। जबकि पशुपति कुमार पारस को एलजेपी से सस्पेंड कर दिए गए हैं। इस स्थिति में पारस को पार्टी की ओर से सदन का नेता नहीं चुना जा सकता।
केस की सुनवाई के वक्त चिराग पक्ष की तरफ से ये भी बताया गया कि एलजेपी के 75 प्रतिशत से ज्यादा पदाधिकारी उनके साथ हैं। साथ ही पार्टी में जारी यह विवाद का केस चुनाव आयोग में है। इस वजह से पारस को लोकसभा सदन का नेता नहीं चुना जा सकता है। पर दिल्ली उच्च न्यायालय में चिराग पासवान की तरफ से दी गई किसी दलील को मान्यता नहीं मिल सकी।
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