एनएमसीएच में हड़ताल पर चले गए डॉक्‍टर, सैकड़ों कोरोना मरीज बिना इलाज के बेहाल

एनएमसीएच में हड़ताल पर चले गए डॉक्‍टर, सैकड़ों कोरोना मरीज बिना इलाज के बेहाल
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बिहार में कोरोना वायरस के कहर के बीच पटना स्थित एनएमसीएच के जूनियर डॉक्‍टर गुरुवार की रात से हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल की वजह से मरीजों की जान खतरे में आ गई है। एनएमसीएच में एक कोरोना मरीज की मौत के बाद हंगामा हुआ था।

बिहार (Bihar) में बेकाबू कोरोना संक्रमण (Corona infection) से लगातार हालात बिगड़ रहे हैं। बिगड़ते हालातों के बीच राजधानी पटना (Patna) से एक और भयभीत कर देने वाली खबर सामने आई है। जानकारी के अनुसार राजधानी पटना स्थित प्रदेश के सबसे बड़े कोविड अस्‍पताल एनएमसीएच (NMCH) के जूनियर डॉक्‍टर (Junior doctor) गुरुवार की रात से हड़ताल (strike) पर चले गए हैं। इससे अस्पलात में भर्ती मरीजों की जान पर आफत बन गई है। पटना में नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एनएमसीएच) में एक कोरोना मरीज की मौत के बाद हंगामा हुआ था।

डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से एनएमसीएच (NMCH) में भर्ती करीब 500 कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए संकट उत्‍पन्‍न हो गया है। बताया जा रहा है कि अस्‍पताल में एक मरीज की मौत के बाद गुरुवार को उसके गुस्‍साए परिजनों तोड़फोड़ की थी। अब इन हड़ताली जूनियर डॉक्‍टरों की मांग है कि अब पर्याप्‍त संख्‍या में पुलिस बल की तैनाती के बाद ही वो काम पर लौटेंगे। वर्तमान में एनएमसीएच अस्‍पताल के सीनियर डॉक्‍टर हालातों को संभालने के प्रयासों में जुटे हुए हैं। एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह ने प्रशासन से अस्‍पताल में तीन शिफ्ट में 20-20 पुलिसकर्मियों की तैनात की मांग की है।

सूबे में 70 हजार को पार कर गई कोरोना एक्टिव मरीजों की संख्‍या

बिहार में कोरोना ना तो किसी आम और ना ही किसी खास पर तरस खा रहा है। सभी पर कहर बनकर टूट रहा है। प्रदेश में विधायक, एमएलसी और आइएएस अधिकारी भी कोरोना वायरस के शिकार बन चुके हैं। प्रदेश में कोरोना का रिकवरी रेट लगातार घट रहा है। कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कुछ दिनों पहले कोरोना के 95 प्रतिशत से ज्यादा मरीज स्‍वस्‍थ हो रहे थे। वहीं प्रदेश में अब वो आंकड़ा इससे घटकर महज 80 प्रतिशत पर जा पहुंचा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ो के अनुसार वर्तमान में बिहार में 69 हजार 868 कोरोना के एक्टिव मरीज हैं। प्रदेश में ऐसे मरीज भी काफी हैं, जिनकी जांच ही नहीं हो पाई है। प्रदेश में अब भी विभिन्न मरीजों की जांच एंटीजन किट से हो रही है। सबको पता है कि यह किट सही परिणाम देने में पूरी तरह सक्षम नहीं है।

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