पटना कॉलेज को साइबर ठगों ने ऐसे लगाया 63 लाख रुपये का चूना, पुलिस विभाग में मची खलबली

पटना कॉलेज को साइबर ठगों ने ऐसे लगाया 63 लाख रुपये का चूना, पुलिस विभाग में मची खलबली
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बिहार की राजधानी पटना में अब शातिर चोरों ने पटना कॉलेज को भी चूना लगा दिया है। क्लोन चेक के माध्यम से पटना कॉलेज के खाते से करीब 63 लाख रुपये की निकासी की गई है। कॉलेज प्रशासन ने मामले को लेकर पुलिस से शिकायत कर दी है।

बिहार (Bihar) की राजधानी पटना (Patna) से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां पर पटना कॉलेज (Patna College) के खाते से गलत तरीके से लाखों रुपये की निकासी कर ली गई। बिहार में चेक व एटीएम क्लोनिंग (check cloning) के केस अक्सर उजागर होते रहते हैं। लेकिन पटना में इस बार चेक क्लोनिंग का एक बड़ा केस सामने आया है। जिसके बाद ही पटना विश्वविद्यालय से लेकर बिहार पुलिस (Bihar Police) में हड़कंप मच गया है। ठगों ने पटना कॉलेज के खाते से चेक क्लोन कर 62 लाख 80 हजार रुपये की रकम निकाल ली है। मामले का पता लगते ही पटना कॉलेज प्रशासन प्राचार्य डॉ अशोक कुमार द्वारा पटना के पीरबहोर थाने में शिकायत दी गई।

प्राचार्य ने अपनी शिकायत में पटना विश्वविद्यालय परिसर में स्थित इंडियन बैंक के शाखा प्रबंधक के खिलाफ आरोप लगाया है। साथ ही यह भी जिक्र किया गया कि कॉलेज के खाते से चेक को क्लोन कर रकम की निकासी की गई है। कॉलेज का यह चेक गुजरात की ग्रीन वेजिटेबल नाम की कंपनी के खाते में डाला गया। लेकिन रुपयों की निकासी इंडियन बैंक के नोरंगपुरा अहमदाबाद ब्रांच से हुई। शातिरों ने लॉकडाउन के दौरान 29 अप्रैल को फर्जी चेक के जरिए यह भारी भरकम रकम निकाल ली। तीन दिनों पहले स्वयं की तरफ से जारी चेक के बाउंस हो जाने पर कॉलेज प्रशासन को अपने साथ हुई इस ठगी का पता चला।

ऐसे हुआ पूरा मामले का खुलासा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पटना कॉलेज प्रबंधन की ओर से एक गेस्ट फैकल्टी के लिए 16 हजार रुपये का चेक दिया गया। गेस्ट फैकल्टी ने पटना कॉलेज से मिले चेक को पीयूके इंडियन बैंक में जमा किया। यहां पर चेक बाउंस हो गया। उन्होंने तुरंत इस मामले की जानकारी पटना कॉलेज प्रबंधन को दी। प्राचार्य डॉ अशोक कुमार ने मामले की सूचना विश्वविद्यालय प्रशासन को दी। कहा जा रहा है कि शातिरों ने ग्रीन वेजिटेबल नाम की फर्जी कंपनी बनाई है। साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक, चेक क्लोनिंग के जरिए इसमें शामिल जालसाज लाखों-करोड़ों रुपये का लेन-देन कर लेते हैं। यह बात भी सामने आई है कि ज्यादातर चेक को छपाई के वक्त ही क्लोन कर लिया जाता है। वहीं कई मौकों पर बैंक से ही चेक क्लोन किया जाता है। जो शातिरों के हत्थें चढ़ जाता है।

ऐसे दिया जाता है इन ठगी की वारदात को अंजाम

जानकारी के अनुसार, इस तरह के ठगी को बैंक कर्मियों की जुगलबंदी से भी अंजाम दिया जाता है। चेक पर किस के हस्ताक्षर हैं। चेक का मालिक कैसे हस्ताक्षर करता है। इन चीजों के बारे में कई बार बैंक से ही शातिरों को पता लगता है। इसके बाद शातिर फर्जी साइन के जरिए चेक क्लोन कर खाते से रुपये निकासी जैसी वारदात को अंजाम देते थे। चेक क्लोन करने वाले साइबर ठग कई बार बैंक से ग्राहक तक जाने वाले मैसेज को रोकने में भी कामयाब हाे जाते हैं। यही वजह है कि जब तक पीड़ित को पता चलता है। तब तक बहुत देर हो जाती है।

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