मुजफ्फपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बृजेश ठाकुर की याचिका पर सीबीआई से मांगा जवाब

निचली अदालत द्वारा मुजफ्फरपुर जिले में एक शेल्टर होम में 40 से अधिक लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले में बृजेश ठाकुर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
मुजफ्फरपुर में मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने पूरे बिहार में स्थित आश्रयगृहों का सोशल ऑडिट किया था। ऑडिट में कहा गया कि बृजेश ठाकुर द्वारा संचालित आश्रयगृह में नाबालिग लड़कियों के साथ लगातार यौन शोषण होता है। टीआईएसएस ने अप्रैल 2018 में अपनी रिपोर्ट जमा कराई थी। इसकी समीक्षा के बाद सरकार ने 31 मई, 2018 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
मामला सामने आने के बाद लड़कियों को आश्रयगृह से मधुबनी, पटना व मोकामा में शिफ्ट किया गया। बाद में जून में पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने बालिका गृह की अधिकांश लड़कियों के साथ यौन शोषण होने की पुष्टि की। बालिका गृह में मौजूद 42 लड़कियों में से 34 लड़कियों के शोषण की पुष्टि हुई। लड़कियों ने अदालत के सामने अपनी आपबीती सुनाई थी कि कैसे उनके साथ लगातार शोषण किया जाता था। बात न मानने पर उनकी छड़ी से पिटाई होती थी। यहां गर्भवती होने पर लड़कियों का कथित तौर पर जबरन गर्भपात कराया जाता था।
मामले में बृजेश ठाकुर के अलावा कोर्ट ने इंदू कुमारी (बालिकागृह अधीक्षक), मीनू देवी (बालिकागृह में गृह माता), मंजू देवी (काउंसलर), चंदा देवी (बालिकागृह में गृह माता), नेहा कुमारी (नर्स), हेमा मसीह (केस वर्कर), किरण कुमारी (सहायक), रवि कुमार, विकास कुमार (सीडब्लूसी का सदस्य), दिलीप कुमार (सीडब्लूसी का अध्यक्ष), विजय तिवारी (चालक), गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, रोजी रानी, रामानुज ठाकुर उर्फ मामू, रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर, डॉक्टर अश्विनी, नरेश प्रसाद व साइस्ता परवीन उर्फ मधु को दोषी करार दिया। वहीं, रवि रोशन दोषी ठहराए जाने के बाद कोर्ट में ही रोने लगा व आत्महत्या करने की धमकी देने लगा। इस मामले में विक्की नाम के व्यक्ति को कोर्ट ने बरी कर दिया।
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