Bihar Flood 2022: महानंदा समेत तीन नदियों के जलस्तर में बढ़ोत्तरी के साथ महाप्रलय की आहट! आबादी पर छाया बड़ा संकट

बिहार(Bihar) में दक्षिण-पश्चिम मानसून (south west monsoon) की एंट्री के बाद से ही नेपाल बॉर्डर से सटे हुए इलाकों में मूसलाधार बरसात हो रही है। इसकी वजह से नेपाल—बिहार बॉर्डर (Nepal Bihar Border) की नदियां उफान पर हैं। महानंदा नदी के जलस्तर में तेजी से इजाफा हुआ है। महाप्रलय की आहट के साथ ही कटिहार के कई गांवों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। साथ ही तेजी के साथ मिट्टी का कटान होने से खेत और सड़कें बाढ़ की चपेट में हैं।
कटिहार के आजमनगर और प्राणपुर में खेतों में जानी वाली सड़कें पानी से लबालब हो गई है। महानंदा के जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में जमीन का कटाव शुरू हो गया है। इसकी वजह से बड़ी आबादी पर बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। कटिहार के डीएम उदयन मिश्रा के मुताबिक, बाढ़ और कटाव से बढ़ते खतरें को देखते हुए मीटिंग की जा रही है। जिला प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी नजर बनाए हुए हैं। बता दें कि कटिहार जिला महानंदा, गंगा और कोसी नदी से घिरा हुआ है। नंदियों में उफान की वजह से आबादी पर भी बाढ़ का खतरा है। महानंदा नदी महाप्रलय को लेकर माथे में चिंता की लकीरें उकेर रही है। निचले इलाकों में जलस्तर बढ़ने से लोगों को निकालकर सुरक्षित जगह भी ले जाया जा रहा है।
कटिहार की महानंदा, गंगा, कोसी व बरंडी नदी के जलस्तर में बीते 12 घंटे में 5 से 25 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही महानंदा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। आजमनगर में 44 सेंटीमीटर, बहरखाल में 22 सेंटीमीटर, धबौल में 32 सेंटीमीटर, कुर्सेला में 05 सेंटीमीटर व दुर्गापुर में 04 सेंटीमीटर लाल निशान से ऊपर बह रही है। सभी नंदियों का यही हाल है। जिला प्रशासन का कहना है कि बाढ़ के खतरे से निपटने की पूरी तैयारी कर ली गई है।
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