आजादी के 72 साल बाद सरकार ने बदला अंग्रेजी राज का कानून, खबर पढ़कर जानें विशेषताएं

बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में एक काफी अहम कानून पारित (Important legislation passed) कर दिया गया। बिहार में अब तक बंगाल, आगरा के संयुक्त कानून से ही सिविल कोर्ट (Civil court) का संचालन होता आ रहा था। जोकि अब बिहार में सिविल कोर्ट (Civil Court in Bihar) का संचालन अपने कानून से होगा। जानकारी के अनुसार विधि मंत्री प्रमोद कुमार (Law Minister Pramod Kumar) ने सदन में गुरुवार को बिहार सिविल न्यायालय विधेयक 2021 (Bihar Civil Court Bill 2021) पेश किया। सदन मेँ इस कानून पर ध्वनिमत से मुहर लग गई। जिसके साथ ही अब बिहार का अपना कानून हो गया है और अंग्रेजी जमाने के कानून से भी निजात मिल गई।
सीएम नीतीश कुमार की उपस्थिति में सदन में पेश किए गए इस विधेयक की विशेषताओं पर ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने प्रकाश डाला। बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि बिहार में अब तक सन 1857 के अधिनियम से ही सिविल कोर्ट का संचालन होता आ रहा था। यानि कि अंग्रेजी शासन के दौर में बने कानून से ही बिहार में सिविल कोर्ट की गतिविधियां संचालित हो रही थीं। उन्होंने बताया कि सीएम नीतीश कुमार के हस्तक्षेप से विधि विभाग ने अपना विधेयक बनाना शुरू किया।
बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि इस विधेयक को पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सुझाव पर तैयार किया गया है। अब बिहार के अपने कानून से सूबे में सिविल कोर्ट का संचालन होगा। यह बिहार प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है। उन्होंने बताया कि बिहार में अब तक असम, बंगाल और आगरा सिविल कोर्ट एक्ट ही लागू होता आया है। बिहार सरकार ने 134 साल पुराने कानून के बदलते हुए नया कानून पारित कर दिया है।
देश की आजादी के 72 वर्षों बाद पहली बार बिहार में यह नया कानून लाया गया है। इस विधेयक को विधि विभाग के मंत्री प्रमोद कुमार द्वारा विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सदन में पेश किया। इस दौरान मंत्री बिजेंद्र प्रसाद ने कहा कि इस ऐतिहासिक कानून को लाने के लिए एवं कानून को सदन से पारित करने के लिए सभी सदस्यों द्वारा बिहार के सीएम नीतीश कुमार को बधाई देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार की इच्छाशक्ति के बल पर ही यह कानून पास हुआ है। साथ ही बिहार को अब अंग्रेजों के कानून से मुक्ति मिल गई है।
नए कानून की खासियत
नए कानून के अनुसार बिहार स्थित सिविल जूनियर डिविजन कोर्ट में 5 लाख रुपये तक के मुकदमों की सुनवाई ही हो सकेगी। वहीं सिविल कोर्ट सीनियर डिविजन में 5 लाख से ऊपर और 50 लाख रुपये तक के मुकदमों की सुनवाई हो सकेगी। नया यह कानून चार तरह के न्यायालयों पर लागू होगा। इस कानून में अपर जिला न्यायालय, सिविल कोर्ट (सीनियर डिविजन) और सिविल कोर्ट (जूनियर डिविजन) शामिल हैं।
इसके साथ ही प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय की सहमति से समय-समय पर जिला और सिविल जज की संख्या भी तय कर सकती है। जिला और सिविल जजों के रिक्त पदों को उच्च न्यायालय की सहमति से राज्यपाल के आदेश पर भरा जाएगा। वहीं सिविल कोर्ट का नियंत्रण जिला स्तरीय कोर्ट करेंगी। नए कानून के मुताबिक सभी जिला कोर्ट का नियंत्रण उच्च न्यायलय करेगा। इसके अलावा नए कानून में सिविल कोर्ट के संचालन, गठन, जजों की नियुक्ति एवं संख्या, कोर्ट की छुट्टियों को लेकर अन्य कई प्रावधान किए गए हैं।
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