World Breastfeeding Day: स्वास्थ्य मंत्री बोले- मां का दूध पीने से बच्चे होंगे रोग मुक्त, अन्य कई लाभ भी बताए

बिहार (Bihar) में विश्व स्तनपान सप्ताह (world breastfeeding week) के उपलक्ष में पूरे राज्य भर में एक अगस्त से लेकर सात अगस्त तक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। वहीं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Bihar Health Minister Mangal Pandey) ने कहा कि मां के स्तनपान (Feeding The Beast) से बच्चों (children) में रोगाणुओं का खात्मा होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मां के दूध (breast milk) से ना केवल बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होगा, साथ ही इससे नवजात शिशु की मृत्यु दर में कमी दर्ज होगी। इसके अलावा मां का दूध पीने से कुपोषण का भी अंत होगा। वहीं पांण्डेय ने बताया कि पूरे बिहार में विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम मनाए जा रहे हैं। इस सप्ताह में हर जिला और ब्लॉक स्तर पर स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। कार्यक्रम के लिए राज्य भर में 92 हजार आशा कार्यकर्ता, 26 हजार जीएनएम या एएनएम को लगाया गया है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय के अधिकारियों का रोल अहम है। वहीं इस कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) को नोडल पदाधिकारी तैनात किया गया है।
मंगल पांडेय यह भी बताया कि प्रत्येक सदर अस्पताल व प्रथम रेफरल इकाई को दूध की बोतल मुक्त परिसर ऐलान किया जाना है। यह करने के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर एक-एक स्तनपान कक्ष बनाया गया है। कार्यक्रम का मकसद ये है कि प्रसव केंद्रों पर मौजूद प्रसुताओं को स्तनपान से होने वाले शिशुओं के लिए फायदों से रूबरू कराना है। पांडेय ने कहा कि जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात को स्तनपान कराने से प्रति वर्ष होने वाले नवजात की मृत्यु दर में 20 प्रतिशत की गिरावट आ जाएगी। उन्होंने बताया कि शुरू के छह महीनों तक लगातार स्तनपान करने वाले बच्चों में डायरिया व निमोनिया की शिकायत होने के बाद भी उनकी मृत्यु दर में क्रमशः 11 प्रतिशत और 15 प्रतिशत की कमी आएगी। उन्होंने बताया कि मां का दूध पीने वाले बच्चों का समुचित शारीरिक व मानसिक विकास होता है। इसके अलावा जवान होने पर असंचारी रोगों की शिकायत में भी कमी आती है। इसका लाभ माताओं को भी मिलता है। वो है ऐसी माताओं में स्तन एवं ओवरी कैंसर होने का भय कम रहता है।
वहीं प्रसव वार्ड में इंचार्ज सिस्टर को नोडल पर्सन तैनात किया गया है। ये यहां भर्ती प्रसुताओं को नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए जागरूक करेंगी। स्तनपान कक्ष को ओपीडी के पास बनाया गया है। जिससे इस अभियान का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो सके। स्वास्थ्य संस्थान में पहले से स्थापित कंगारू मदर केयर (केएमसी) वार्ड से अलग स्तनपान कक्ष बना गया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत गर्भवती और माताओं के साथ बैठेंगी। साथ ही ये इनको स्तनपान से होने वाले लाभ व स्तनपान का सही तरीका बताएंगी। कार्यक्रम के दौरान ये कार्यकर्ता माताओं को दूध के विकल्प का पूरी तरह से बहिष्कार करने की सलाह देंगी। साथ ये जन्म के बाद 24 घंटे तक प्रसूता व नवजात के साथ बने रहने आदि पर जागरूक करेंगी। वहीं इन स्वास्थ्य कर्मियों से अभियान की कामयाबी को लेकर शपथपत्र भी लिया जाएगा। वहीं आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अगस्त महीने में होने वाले 'विलेज हेल्थ सेनिटेशन एंड न्यूट्रीशन डे' में तमाम दो साल तक के बच्चों की माताओं को बुलाएंगी। इस दौरान ये इनफेंट एंड यंग चाइल्ड फीडिंग (आईवाईसीएफ) के अभ्यासों व बच्चों के पोषण स्तर में हुए सुधार के आधार पर चिह्नित माताओं की सराहना करेंगी। वहीं इन कार्यक्रम के दौरान कोरोना को लेकर सरकार की ओर से जारी प्रोटोकॉल का विशेष घ्यान रखा जाएगा।
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