लालू को रिम्स निदेशक के आवास में शिफ्ट किये जाने पर जदयू ने उठाया सवाल

जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि सत्ता का बेलगाम चेहरा यही होता है। बिहार के पूर्व सीएम एवं राजद प्रमुख लालू यादव चारा घोटालों के मामलों में सजायाफ्ता हैं। लेकिन वे अब भी वीवीआईपी कल्चर से मुक्त होने के लिये तैयार नहीं हैं। वहीं उन्होंने कहा कि एक ओर तो कोरोना पीड़ित मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं। वहीं दूसरी ओर लालू यादव को रिम्स निदेशक के आवास में ही शिफ्ट कर दिया जाता है।
राजीव रंजन ने कहा कि कहीं ना कहीं इस मामले से एक बात तो साफ हो जाती है। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार लालू को नजरअंदाज नहीं कर सकती है। क्योंकि लालू यादव की पार्टी राजद भी झारखंड की सरकार में साझेदार है। इसलिये नियम कानूनों को ठेंगा दिखाकर लालू यादव को पेंइग वार्ड से रिम्स निदेशक के आवास में शिफ्ट कर दिया गया है। यही सत्ता का बेलाग चेहरा होता है।
रिम्स प्रशासन था बेचैन
याद रहे बिहार के पूर्व सीएम एवं सजायाफ्ता लालू यादव को बुधवार को कोरोना संक्रमण हो जाने के भय की वजह से पेइंग वार्ड से रिम्स निदेश के आवास में शिफ्ट कर दिया गया था। बीते दिनों उनके कई सेवादार कोरोना संक्रमित पाये गये थे, जिससे राजद प्रमुख लालू यादव को कोरोना संक्रमण होने का खतरा बढ़ गया था। वहीं रिम्स में पेइंग वार्ड के नीचे वाले तल को छोड़कर सभी तल कोरोना वार्ड बना दिये गये थे।
इसके अलावा जहां राजद प्रमुख टहलते थे और आसपास की जगहों पर भी कोरोना पीड़ित मरीज ही थेे। इस कारण राजद प्रमुख लालू यादव कोरोना संक्रमण होने का खतरा और ज्यादा बढ़ गया था। इसी को लेकर रिम्स प्रशासन भी बेचैन था। वैसे तो रिम्स प्रशासन ने बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव की दो-दो बार कोरोना जांच कराई है। जिनमें दोनो ही बार लालू यादव की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। जब जाकर रिम्स प्रशासन ने राहत की सांस ली।
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