Railway Recruitment Scam: लालू प्रसाद की कृपा दृष्टि से भोला यादव फर्श से लेकर अर्श तक पहुंचे, पढ़िये उनका सफर

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता भोला यादव (Bhola Yadav) को सीबीआई (CBI) ने रेलवे भर्ती घोटाले (Railway Recruitment Scam) में गिरफ्तार कर लिया गया है। भोला यादव कभी कोर्ट में मुंशी हुआ करते थे, लेकिन आरजेडी प्रमुख लालू यादव की कृपा दृष्टि उन पर ऐसी पड़ी कि वो फर्श से लेकर अर्श तक पहुंच गए। खास बात है कि लालू यादव के जेल जाने के बाद भी लालू परिवार (Lalu Yadav Family) अपने विश्वसनीयों में सबसे ज्यादा भरोसा भोला यादव पर करते रहे। कहा जाता है कि भोला यादव अगर किसी को फोन करते तो समझा जाता था कि लालू यादव स्वयं फोन पर बात कर रहे हैं। चलिए बताते हैं कि भोला यादव ने कैसे लालू प्रसाद के विश्वसनीय कैसे बन गए...
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भोला यादव ने अपने करिअर की शुरुआत कोर्ट में बतौर मुंशी के तौर पर काम किया था। लालू प्रसाद जब चारा घोटाला में आरोपी बने थे तो उन्होंने सबसे भरोसेमंद वकील रामानंद प्रसाद को केस लड़ने की जिम्मेदारी सौंपी थी। रामानंद प्रसाद के मुंशी भोला यादव थे। रामानंद प्रसाद से मुलाकात के दौरान लालू यादव की नजर भोला यादव पर पड़ी। उनकी सूझबूझ और तत्परता से लालू प्रसाद प्रभावित हुए।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने रामानंद प्रसाद को केस की पैरवी करने के एवज में एमएलसी बना दिया था। तब भी भोला यादव रामानंद प्रसाद से जुड़े रहे और रामानंद प्रसाद के एमएलसी क्वार्टर में गार्ड रूम में रहकर लालू प्रसाद के चारा घोटाले के केस पर काम करने लगे। भोला यादव ने जिस तत्परता और मेहनत से चारा घोटाले में पैरवी में मदद की तो लालू प्रसाद का उन पर भरोसा बढ़ गया। अब तक भोला यादव लालू प्रसाद से इतना भरोसा जीत चुके थे कि वो कोर्ट के अलावा भी अन्य कार्य सौंपने लगे।
राजनीतिक गोपनीय मैसेज भेजने वालों में पहली पसंद बने
यहां तक कि भोला यादव ने लालू प्रसाद के उन मैसेज को भी नेताओं तक पहुंचाया, जिसके लिए विश्वसनीय और जिम्मेदार व्यक्ति की जरूरत थी। भोला यादव के बाद लालू प्रसाद यादव की यह परेशानी खत्म हो गई। एक अधिकारी का कहना है कि भोल यादव अगर फोन करते तो समझा जाता था कि लालू प्रसाद का स्वयं का फोन आया है।
लालू प्रसाद को भोला यादव के प्रति विश्वसनीयता बढ़ी तो उनकी जिम्मेदारी बढ़ने लगी। इस बीच लालू प्रसाद पर चारा घोटाले को लेकर शिकंजा कसा तो उनके पीए मुकुल प्रसाद अचानक गायब हो गए। ऐसे में मुकुल प्रसाद के पीए भोला यादव लालू यादव के पीए बन गए।
पीए से ओएसडी बनाया
विश्वसनियता इतनी बढ़ी कि साल 2004 में लालू प्रसाद ने बतौर रेल मंत्री भोला यादव को अपना ओएसडी नियुक्त कर दिया। उन्होंने दिल्ली में न रहकर पटना में रहते हुए राबड़ी देवी के राजनीतिक कामकाज को आगे बढ़ाने का काम किया। लालू प्रसाद का भोला यादव पर गहरा विश्वास था, जो नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राबड़ी की मदद के लिए भोला यादव के रूप में सबसे उपयुक्त दिखाई पड़ता था। यही नहीं पूरा लालू परिवार भी भोला यादव पर आंखें मूंदकर भरोसा करने लगा।
विधानसभा चुनाव लड़वाया
लालू प्रसाद यादव ने भोला यादव को साल 2015 में विधानसभा चुनाव लड़वाया। भोला यादव जेडीयू और आरजेडी के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर बहादुरपुर से मैदान में उतारे गए। उन्होंने चुनाव में विजय हासिल की। वे करीब पांच साल तक विधानसभा के सदस्य के रूप में बने रहे लेकिन साल 2020 में भोला यादव चुनाव जीतने में नाकामयाब रहे। हालांकि लालू प्रसाद परिवार के प्रति उनकी निष्ठा जस की तस बनी रही।
रेलवे भर्ती घोटाले में गिरफ्तारी
भोला यादव ने जिस मेहनत से लालू यादव की कृपा दृष्टि हासिल करके अर्श से फर्श तक का सफर तय किया तो वहीं अब रेलवे भर्ती घोटाले में सीबीआई की गिरफ्त में हैं। अब आगे उनका जीवन कैसा रहेगा, यह आगे ही स्पष्ट हो सकेगा, लेकिन भोला यादव अभी तक लालू यादव के सबसे विश्वसनीय लोगों में से एक हैं।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS