Lockdown: बिहार में 15 मई तक के लिए लगा लॉकडाउन, कोरोना पर नीतीश सरकार ने लिया बड़ा फैसला

Lockdown: बिहार में 15 मई तक के लिए लगा लॉकडाउन, कोरोना पर नीतीश सरकार ने लिया बड़ा फैसला
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Lockdown in Bihar: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान कोरोना कस्बों, छोटे शहरों और गांवों में भी कहर बरपा रहा है। इसकी वजह से बिहार में हर गुजरते दिन के साथ हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इसको लेकर सीएम नीतीश कुमार ने राज्य में 15 मई तक के लिए लॉकडाउन लगा दिया है।

Lockdown in Bihar: कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान बिहार में संक्रमण बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों और गांवों में भी कहर बनकर टूट रहा है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के साथ बिहार सरकार भी पूरी तरह से चिंतित है। वहीं बिहार में जारी कोरोना संकट के बीच 15 मई तक के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है। सरकार के तमाम दावों एवं प्रयासों के बाद भी बिहार में कोरोना के प्रसार पर काबू नहीं पाया जा रहा है। इस वजह से खुद सरकार ने लॉकडाउन का फैसला लिया है। इसकी जानकारी सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार को खुद ट्वीट कर दी।

सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपने ट्वीट में लिखा है कि कल सहयोगी मंत्रीगण एवं पदाधिकारियों के साथ चर्चा के बाद बिहार में फिलहाल 15 मई, 2021 तक लॉकडाउन लागू करने का निर्णय लिया गया। इसके विस्तृत मार्गनिर्देशिका एवं अन्य गतिविधियों के संबंध में आज ही आपदा प्रबंधन समूह (Crisis management Group) को कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिया गया है।

सीएम नीतीश कुमार के निर्देश के बाद आज आपदा प्रबंधन समूह की बैठक होने जा रही है। इस बैठक में कोरोना की रोकथाम के लिए कई अहम निर्णय लिये जाएंगे और कई नए जरूरी निर्देश भी जारी हो सकते हैं।

दूसरी ओर कोरोना वायरस में लगातार बढ़ोतरी और इलाज को लेकर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि राज्य सरकार से बात करें और चार मई को बताएं कि बिहार में लॉकडाउन लगेगा या नहीं। साथ ही कहा गया है कि यदि आज निर्णय नहीं आता है तो हाईकोर्ट कड़े फैसले ले सकता है। कोरोना मरीजों के इलाज के संबंध में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने यह सवाल पूछा है। जिसपर मंगलवार को ही जवाब देना है।

हाईकोर्ट ने कहा कि आदेश दिया जाने के बाद भी राज्य में कोरोना मरीजों के उपचार की सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं। राज्य के अस्पतालों में निर्बाध ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गई है। वहीं केंद्रीय के कोटा से मिल रहे रोजाना 194 टन की जगह मात्र 160 टन ऑक्सीजन का उठाव हो रहा है। कोरोना को लेकर राज्य में एडवाइजरी कमेटी तक नहीं बनी, जो इस कोरोना विस्फोट से निपटे। इसके अलावा राज्य में कोई वार रूम तक नहीं बना है। ऐसा महसूस हो रहा कि पूरा तंत्र ध्वस्त हो चुका है। अस्पतालों में बेड व वेंटिलेटर की कमी और पांच सौ बेड का बिहटा ईएसआईसी अस्पताल शुरू करने के आदेश पर भी पूरी तरह कार्य नहीं किया गया है। सरकार की रिपोर्ट भी भ्रामक थी। इस कारण एक स्वतंत्र कमेटी बनाई। कमेटी की रिपोर्ट के उलट आंकड़े कोर्ट में विभाग से मिल रहे हैं।

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