कोरोना के बीच आर्थिक संकट से जूझ रहे लोग, उधर सरसों के तेल ने बिगाड़ा सब्जी का जायका

बिहार (Bihar) में एक ओर तो कोरोना वायरस (Corona virus) ने लोगों का जीना दुश्वार कर रखा है। दूसरी ओर बेहताशा महंगाई (Inflation) ने लोगों की कमर तोड़ रखी है। लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। कोरोना महामारी (Corona epidemic) के बीच बिहार में खाने वाले तेल के दामों (Edible oil prices) में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बिहार में सिर्फ चार दिनों के अंदर 15 रुपये सरसों का तेल महंगा (Mustard oil expensive) हुआ है। साल 2020 के दिसंबर महीने के बाद से ही खाने के तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी (Constant rise in prices of edible oil) रही है। बिहार में पहली बार सरसों के तेल की कीमत (Mustard oil price) 185 रुपये लीटर पर पहुंच गई है। वहीं रिफाइंड भी 166 से 170 रुपये प्रति लीटर के बीच बिक रहा है। दूसरी ओर अरहर व मसूर दालों की कीमत भी 20 फीसदी तक बढ़ गई हैं। समान्य दिनों में 80 रुपये किलो बिकने वाला डालडा भी 160 रुपये प्रति किलो बाजार में मिल रहा है।
रिफाइंड व सरसों के तेल की कीमतों में बार-बार बढ़ोतरी होने से प्रदेश में रसोइयों का बजट बिगड़ गया है। अभी ये महंगाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। आने वाले दिनों में रिफाइंड और सरसों तेल की कीमतों में और तेजी होने का शक है। बीते एक महीने के अंदर रिफाइंड के दामों में 25 रुपये लीटर की तेजी आई है। इस तरह सरसों के तेल के दाम भी 40 रुपये तक बढ़ गए हैं। राजधानी पटना की रहने सोनू ने बताया कि कि महंगाई से रसोई का बजट बिगड़ गया है।
साल भर में 70 प्रतिशत तक बढ़े दाम
थोक कारोबारी विजय ने बताया कि पाम आयल का खुदरा मूल्य 51.54 प्रतिशत बढ़कर 132.6 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है। जो पहले 87.5 रुपये प्रति किलोग्राम था। सोया तेल की कीमत 50 प्रतिशत बढ़कर 158 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है, जो पूर्व में 105 रुपये प्रति किलोग्राम बिकती था। वहीं सरसों का तेल 49 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 163.5 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया। जो पूर्व में 110 रुपये प्रति किलोग्राम पर था। कोई नियंत्रण नहीं होने से कंपनियां भी मनमानी कीमत वसूल रही हैं।
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