Bihar Politics: चिराग पासवान Hajipur सीट के लिए अड़े, पशुपति पीछे हटने को तैयार नहीं... जानें किसका पलड़ा भारी

Lok Sabha Election 2024: कुछ दिनों पहले चिराग पासवान Chirag Paswan) की पार्टी लोजपा (रामविलास) की एनडीए (NDA) में वापसी हो गई, लेकिन उनकी अपने चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के साथ जारी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। 18 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में एनडीए की बैठक हो रही है, जिसमें ये पशुपति और चिराग, दोनों शामिल हो रहे हैं। फिलहाल भाजपा के सामने दोनों चाचा-भतीजे के बीच सामंजस्य बिठाना बहुत बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा समस्तीपुर सीट को लेकर भी चिराग और पशुपति दावेदारी कर रहे हैं। बता दें कि हाजीपुर और समस्तीपुर दोनों सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं।
न चिराग छोड़ रहे दावा, न पशुपति पीछे हटने को तैयार
बताया जा रहा है कि चिराग पासवान ने हाजीपुर सीट पर को लेकर अपना दावा ठोंक रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2024 में वे खुद हाजीपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगे। मंत्री बनने के सवाल पर लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने कहा, “ये सब बाद का विषय है। एनडीए की तरफ से मुझे जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, मैं उसे बखूबी निभाऊंगा। गठबंधन का मतलब सिर्फ मलाई खाना नहीं होता।’’
दूसरी तरफ, चिराग के चाचा और केंद्र सरकार में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति पारस भी हाजीपुर सीट को लेकर अड़े हुए हैं। उन्होंने अपने दिवंगत बड़े भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुराने बयान का जिक्र करते हुए कहा, “हाजीपुर सीट मुझे भैया ने उत्तराधिकार में सौंपा है। 2019 में उन्हें हाजीपुर सीट फिसलने का डर था। इसलिए उन्होंने मुझे ये सीट लड़ने को दी थी।’’
पिछले लोकसभा चुनाव में 6 सीटें जीती थी लोजपा ने
गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में एनडीए गठबंधन (NDA alliance) की तरफ से एलजेपी को बिहार में 6 सीटें दी गई थी और इन्होंने सभी 6 सीटें जीत ली थी। इन सीटों में हाजीपुर, समस्तीपुर, वैशाली, नवादा, जमुई और खगड़िया पर पार्टी ने जीत दर्ज की थी। साल 2020 में जब रामविलास पासवान का निधन हुआ, तो विरासत को लेकर उनके भाई और बेटे के बीच जंग शुरू हो गई।
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साल 2020 में लोजपा हो गई थी दो फाड़
आखिरकार साल 2000 में बनी लोक जनशक्ति पार्टी 2020 में यानी 20 सालों बाद दो फाड़ हो गई। अब देखना यह है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा दोनों चाचा-भतीजे के बीच सुलह करा पाती है या नहीं। वैसे कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चिराग पासवान के पलड़े को भारी देखते हुए बीजेपी पशुपति पारस को दरकिनार करते हुए चिराग पासवान को आगे बढ़ा सकती है।
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