पूजा का प्रसाद खाने से गांव में 80 लोग हुए बीमार, मौके पर पुलिस लेकर पहुंची डॉक्टरों की टीम

पूजा का प्रसाद खाने से गांव में 80 लोग हुए बीमार, मौके पर पुलिस लेकर पहुंची डॉक्टरों की टीम
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बिहार के मुंगेर जिले स्थित एक गांव से फूड प्वाइजनिंग का मामला सामने आया है। मामले की सूचना पर गांव में पुलिस और डॉक्टर पहुंच गए हैं।

बिहार (Bihar) के मुंगेर (Munger) जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिले के धरहरा प्रखंड के कोटवा गांव में सोमवार को पूजा का प्रसाद (offerings of worship) खाने से करीब 80 ग्रामीण बीमार (sick) पड़ गए। बताया जा रहा है कि गांव के इन सभी लोगों ने गांव में निवासी एक शख्स के घर में हो रही पूजा का प्रसाद (prasad) खाया था। प्रसाद खाने के बाद सभी लोगों को उल्टी व पेट दर्द की शिकायत होने लगी। वहीं कई लोगों की स्थिति ज्यादा खराब हो गई। तुरंत मामले की जानकारी पुलिस (Police) को दी गई। पुलिस तुरंत मेडिकल टीम (medical team) को लेकर गांव पहुंची। जहां डॉक्टरों (Doctors) ने बीमार लोगों का इलाज शुरू किया।

जानकारी के अनुसार, धरहरा प्रखंड के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र बंग्लवा पंचायत के कोठवा गांव में महेश कोड़ा के घर पर सोमवार को पूजा आयोजित हुई। पूजा संपन्न होने पर गांव के काफी लोग उनके घर पर पूजा का प्रसाद खाने पहुंचे। इसके बाद जब ग्रामीण अपने घर लौटे तो कुछ समय बाद ही लोगों के पेट में दर्द होना शुरू हो गया। बाद में उल्टी-दस्त भी हो गए। शुरू में एक-दो लोग बीमार हुए। देखते ही देखते इस बीमारी ने गांव की आधी आबादी यानी कि करीब 80 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। मामले की सूचना पर रात में 8.30 बजे के आसपास सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से डा.एनके मेहता स्वास्थ्यकर्मियों के साथ तीन एंबुलेंस से गांव पहुंचे। बीमार लोगों की संख्या ज्यादा होने की वजह से स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में ही कैंप कर मरीजों का उपचार कर रही है।

15 लोगों की स्थिति गंभीर

बताया जा रहा है कि बीमार लोगों में काफी बच्चे भी शामिल हैं। वहीं करीब 15 लोगों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। जिनको बेहतर इलाज के लिए एम्बुलेंस से धरहरा स्वास्थ केंद्र में भर्ती करवाया गया है।

प्रसाद का सैंपल लिया गया

मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने प्रसाद का सैंपल ले लिया है। सैंपल की रिपोर्ट सामने आने पर पूरे मामले की स्थिति साफ होगी। अभी तक की जांच में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इसे फूड प्वायजनिंग का केस करार दिया है। करीब 65 लोगों का इलाज गांव में ही हो रहा है, जिनमें ज्यादातर बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।

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