शहाबुद्दीन की मौत के बाद भी खत्म नहीं हो रहे विवाद, अब उनकी कब्र को लेकर ये मसला गहराया

मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) से जुड़ी खबर चाहे दिल्ली से ही क्यों ना हो, लेकिन उनके मरने के बाद भी उसकी धमक बिहार (Bihar) के सिवान (Siwan) तक पहुंचती है। सिवान पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन (Former MP Mohammad Shahabuddin) के निधन को करीब महीना गुजर चुका है। लेकिन उनकी मौत के बाद उपजे विवाद अब तक थमते हुए नहीं दिख रहे हैं। आपको बता दें पूर्व में शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके शव को बिहार लाए जाने को लेकर विवाद हुआ। वहीं अब दिल्ली (Delhi) स्थित एक कब्रिस्तान की कब्र में दफन उनके शव को लेकर विवाद शुरू हो गया है।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली के जिस जदीद कब्रिस्तान (Delhi Jadeed Cemetery) में मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) को सुपुर्द ए खाक किया गया है। वहां उनके परिवार के लोग पक्की कब्र (Shahabuddin grave) बनाना चाहते हैं। जिसको लेकर दिल्ली में उनके परिजनों ने कार्य भी शुरू कर दिया है। लेकिन अब कब्रिस्तान की देखरेख करने वाली कमेटी ने इस पक्की कब्र के कार्य पर रोक लगाने की मांग उठाई है। जिसके कारण अब नई तरह की खिंचतान शुरू हो गई है।
जानकारी के अनुसार मोहम्मद शहाबुद्दीन के शव को दिल्ली गेट स्थित जदीद कब्रिस्तान में दफनाया गया है। इस कब्रिस्तान में भूमि की कमी की वजह से पहले से ही पक्की कब्र बनाने के लिए मनाही है। कोरोना वायरस की वजह से लगातार हो रही मौतों को लेकर पक्की कब्र बनाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। बावजूद इसके उनके परिजनों द्वारा शहाबुद्दीन की कब्र को पक्की किया जा रहा है। जो विवाद का विषय बन गया है। जानकारी के अनुसार शहाबुद्दीन की कब्र को बिना अनुमति के ही पक्का करने की शुरुआत हुई तो कब्रिस्तान की कमेटी ने उसे रुकवाने का भी प्रयास किया है। इस मामले को लेकर पुलिस भी बुलाई गई। लेकिन अभी भी कार्य जारी बताया जा रहा है। इसपर कब्रिस्तान कमिटी को आपत्ति है। वर्तमान में इस मसले को लेकर कमेटी का कोई सदस्य कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
मसले पर दिल्ली की जदीद कब्रिस्तान की देखरेख करने वाले मंसूरी वेलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष हसनैन अख्तर मंसूरी का कहना है कि आम लोगों के लिए अलग व पूर्व सांसद के लिए अलग नियम नहीं हो सकते हैं। उनका कहना है कि साल 1992 में ही कब्रिस्तान कमेटी ने एक कानून बनाकर जदीद कब्रिस्तान में कब्र को पक्की करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब इस कब्र की भूमि को घेर कर ईंट से क्यों पक्का किया जा रहा है। साथ ही हसनैन अख्तर मंसूरी ने इस मामले की जांच कराने की मांग उठाई है।
याद रहे दिल की तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शहाबुद्दीन कोरोना से पॉजिटिव पाए गए थे। बीते 1 मई को शहाबुद्दीन की मौत इलाज के दौरान हो गई थी। उनके परिवार के लोग उनके शव को बिहार के सिवान में पैतृक गांव प्रतापपुर में दफन करना चाहते थे। लेकिन कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए इसकी अनुमति नहीं दी गई थी। अंत में उनके परिजनों की उपस्थिति में शहाबुद्दीन के शव को दिल्ली गेट स्थित जदीद कब्रिस्तान में दफना दिया गया था।
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