कोरोना मरीजों के परिजनों में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मची हाय तौबा, एनएमसीएच ने लिया ये बड़ा फैसला

बिहार (Bihar) में कोरोना वायरस (Corona virus) की वजह से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वहीं बीते कुछ दिनों से रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedicivir Injection) की भारी कमी हो गई है। इसको उपलब्ध कराने के लिए मारामारी देखी जा रही है। कोरोना संक्रमित मरीज (Corona infected patient) को देने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन किसी भी स्थिति में मिलना मुश्किल हो रहा है। मरीज के परिजन इस इंजेक्शन के लिए अस्पताल से लेकर दवा के स्टोर्स तक चक्कर काटते फिर रहे हैं। अब पटना के एनएमसीएच अस्पताल ने इस पर बड़ा फैसला लिया है।
एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विनोद सिंह ने आदेश दिया है कि कोरोना मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत नहीं है। अधीक्षक ने डब्ल्यूएचओ का हवाला देते हुए सभी डॉक्टर्स (चिकित्सकों) को आदेश दिया है कि अभी से ही कोई भी डॉक्टर कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं लिखेंगे। क्योंकि डब्ल्यूएचओ (WHO) ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपयोगिता को नकार दिया है। रिसर्च में भी यह पुष्टि हो चुकी है कि यह इंजेक्शन कोविड-19 में कारगर नहीं है।
15 से 25 हजार रुपये में मिल रही एक फाइल
इस सब के बाद भी रेमडेसिविर इंजेक्शन की वजह से हाय तौबा मची हुई है। कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिजन परेशान हो रहे हैं। दरअसल बिहार में एक - एक मरीज के लिए डॉक्टर 7 से 8 रेमडेसिविर इंजेक्शन देने का पर्चा लिख रहे हैं। दूसरी ओर इंजेक्शन मिलना मुश्किल है। बिहार में रेमडेसिविर इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है। जरूरतमंद 15 से 25 हजार रुपये में एक फाइल खरीद रहे हैं।
रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत जानें
शोध में भी सिद्ध हो चुका है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का एआरडीएस रोकने में कोई रोल नहीं है। डाक्टरों की मानी जाए तो रेमडेसिविर इंजेक्शन ऑक्सीजन लेवल घटने यानि 90 से नीचे पहुंचने पर दी जाती है। जिससे मरीज की जान बचाई जा सके। एनएमसीएच के अधीक्षक का पत्र सामने आने के बाद चर्चा है कि स्वास्थ्य विभाग इसपर जल्द कोई आदेश जारी कर सकता है। चिकित्सकों से रेमडेसिविर इंजेक्शन को नहीं लिखने के लिए अपील कर सकता है।
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