वैक्सीन ट्रायल में शामिल हुए आधे बच्चे पहले से ही कोरोना से लड़ने में थे सक्षम, एम्स की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

बिहार (Bihar) के पटना एम्स (Patna AIIMS) में कोरोना वैक्सीन ट्रायल (corona vaccine trial) के लिए आए 50 प्रतिशत से अधिक बच्चों की जांच में एंटीबॉडी विकसित (Antibodies develop in children) हो चुकी थी। बच्चों की जांच के दौरान सीरो रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ। जानकारी के अनुसार पटना एम्स में 12 से 18 वर्ष के 27 बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल सोमवार को पूरा हुआ। वैक्सीन ट्रायल में शामिल होने आए कई बच्चों में पहले से ही एंटीबॉडी थी। इस वजह से उन बच्चों कोरोना टीके की डोज नहीं दी गई।
पटना एम्स की जानकारी के अनुसार वैक्सीन ट्रायल में शामिल होने आए 50 से 60 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई है। यानि इन बच्चों के शरीर में पहले से ही कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली सशक्त हो चुकी थी। डॉक्टरों का कहना है कि ये तभी संभव हुआ होगा कि जब इन बच्चों का शरीर कोरोना वायरस के संक्रमण के खिलाफ जंग लड़ा होगा। पटना एम्स की वरीय चिकित्सक डॉ. वीणा सिंह का कहना है कि एंटीबॉडी बनने के बाद भी इन बच्चों और उनके माता-पिता को विशेष सावधानी बरतनी होगी।
डॉ. वीणा सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस की गतिविधि लगातार परिवर्तित हो रहा है। अभी दूसरी लहर के कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनी है। यह जरूरी नहीं है कि तीसरी लहर में कोरोना वायरस के संक्रमण की गतिविधि ऐसी ही हो। साथ ही उनका कहना है कि बच्चों को लेकर विशेष सावधानी एवं उनके वैक्सीनेशन पूरा होने तक सावधानी बरतनी होगी।
इस पर पटना एम्स के अधीक्षक डॉ. सीएम सिंह ने बताया कि वैक्सीन ट्रायल में शामिल होने आए 12 से 18 वर्ष के कुछ बच्चों की जांच में एंटीबॉडी पाई गई है। ऐसे में इन बच्चों पर कोवैक्सीन टीके का ट्रायल नहीं किया गया। इन बच्चों के शरीर में पहले से एंटीबॉडी रहने की वजह से कोरोना टीका देने की जरूरत नहीं होती। वैक्सीन ट्रायल में केवल उन बच्चों को शामिल किया गया, जिन बच्चों के शरीर में पहले से एंटीबॉडी नहीं पाई गई।
ये बच्चे हुए कोरोना संक्रमित, लेकिन पता नहीं चल सका
पटना एम्स के अनुसार कोरोना वायरस की दूसरी लहर बच्चों पर खासा प्रभाव नहीं दिखा पाई। कोरोना की दूसरी लहर ने उन बच्चों को अधिक प्रभावित किया जो या तो पहले से बीमार थे या जिनकी इम्युनिटी पावर ज्यादा कमजोर थी। अधिकतर बच्चों में कोरोना वायरस खतरनाक प्रभाव नहीं दिखा सका। डॉक्टरों के अनुसार एसिम्पटोमेटिक लक्षण के चलते वे बच्चे कब कोरोना पॉजिटिव हुए व कब कोरोना वायरस से स्वस्थ हो गए। इसके बारे में ना तो बच्चों को ही और ना ही उन बच्चों के माता-पिता को हो पता चल पाया। ये बच्चे कोरोना संक्रमित हुए इस वजह से उनमें कोरोना वायरस के संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी भी बनी।
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