नाबालिग से रेप और हत्या मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी को किया बरी, निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा

बिहार (Bihar) के सिवान (Siwan) में रेप (Rape) के बाद की गई नाबालिग बच्ची की हत्या (Murder) मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने पीड़ित माता- पिता को 10 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने सिवान जिला के बिहार विविक सेवा प्राधिकार को 30 दिनों के अंदर यह मुआवजा राशि भुगतान करने का आदेश दिया है। वहीं रेप और हत्या के आरोप में मौत की सजा पाए नाबालिग आरोपित को भी बरी कर दिया।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने सिवान रेप और हत्या मामले पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान 4 वर्षीय बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और उसकी हत्या के दोषी को मिली मौत की सजा को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में बताया कि देश का कानून किसी नाबालिग को सजा देने की अनुमति नहीं देता। इस स्थिति में आरोपित को बरी करना न्याय संगत हैं। वहीं हाईकोर्ट ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 में पीड़िता को मुआवजा देने का प्रावधान है। इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने भी सभी राज्यों से पीड़िता को मुआवजा देने के लिए अलग से फंड सृजत करने का आदेश दिया है। प्रदेश सरकार ने भी उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में बिहार विक्टिम कंपन्सेसन स्कीम बनाई है। जिसके तहत पीड़िता का पुनर्वास और मुआवजे का प्रावधान है। यदि पीड़िता नाबालिग है तो उसे 3 से 7 लाख तक का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। पर अदालत चाहे तो मुआवजा राशि को दोगुना कर सकता है।
साल 2018 में सिवान जिले के बड़हरिया थाना इलाके में इस वारदात को अंजाम दिया गया। यहां 4 साल की नाबालिग बच्ची के साथ रेप व बाद में उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस जांच-पड़ताल के बाद सिवान की निचली अदालत ने मामले में अभियुक्त को दोषी करार दिया। साथ ही निचली अदालत ने 24 अप्रैल 2019 को मौत की सजा भी सुनाई थी। इसके बाद सजा की पुष्टि के लिए मामले का पूरा रिकॉर्ड पटना हाईकोर्ट भेजा गया था। आरोपी ने खुद को नाबालिग सिद्ध करने के लिए एक अर्जी निचले कोर्ट में दी थी। कोर्ट ने उसकी अर्जी को रद्द कर उसे मौत की सजा सुना दी।
पटना हाईकोर्ट ने नाबालिग सिद्ध करने के लिए दी गई अर्जी पर मेडिकल बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया। इस पर मेडिकल बोर्ड ने सजायाफ्ता की आयु की जांच की। इस बोर्ड ने माना कि गत 3 अगस्त को जांच के दिन आरोपी की उम्र 19 से 20 वर्ष है। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने कहा कि वारदात वाले दिन आरोपी 17 वर्ष एक माह 8 दिन का था। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी 16 साल से अधिक व 18 साल से कम का है। इस स्थिति में वारदात वाले दिन आरोपी नाबालिग था। हाईकोर्ट ने कहा कि कानून नाबालिग को सजा देने की अनुमति नहीं देता। इस को लेकर हाईकोर्ट ने अविलम्ब आरोपी को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है।
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