पिता पासवान की पहली बरसी पर बोले चिराग- राज्य की ओर से मिले सम्मान, चाचा पारस भी समारोह में आए नजर

लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) के संस्थापक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की आज पहली बरसी (Ram Vilas Paswan's first anniversary) है। इस मौके पर बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) के पटना (Patna) स्थित आवास पर पिता रामविलास पासवान की बरसी का आयोजन किया। इस मौके पर चिराग की ओर से हवन भी किया गया। जिसमें उनके चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) भी मौजूद रहे। इस मौके पर बिहार की जमुई लोकसभा सीट से सांसद चिराग पासवान ने मांग उठाई कि उनके पिता को राज्य की ओर से उचित सम्मान मिलना चाहिए। साथ ही मांग उठाई कि राज्य में उनकी एक प्रतिमा लगनी चाहिए।
आज पटना श्री कृष्णापुरी आवास पर आयोजित लोजपा के संस्थापक 'पद्म भूषण' स्व. रामविलास पासवान जी की बरसी कार्यक्रम में लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री @iChiragPaswan जी ने हवन व पूजन किया।
— Lok Janshakti Party (@LJP4India) September 12, 2021
इस दौरान बरसी कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री @PashupatiParas जी भी सम्मिलित हुए। pic.twitter.com/vTYWo4ndO1
इस मौके पर चिराग पासवान ने कहा कि हमारे नेता रामविलास पासवान का 50 वर्षों तक सक्रिय सियासत में बेदाग योगदान रहा। इसलिए बिहार की ओर से उनके नेता को सम्मान मिलना चाहिए। साथ ही कहा कि उनकी इच्छा है कि राष्ट्रीय शोक का ऐलान हो। मेरी इच्छा है कि राज्य में उनकी एक प्रतिमा भी लगाई जाए। जिससे आने वाली पीढ़ी उनका मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।
पारस ने पूर्व में रामाविलास पासवान को भारतरत्न दिए जाने की उठाई थी मांग
इनसे पहले रामविलास पासवान के भाई एवं केंद्रीय खाद्य-प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने उन्हें भारत रत्न व पटना में उनका राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग उठाई थी। पारस ने यह भी कहा था कि हाजीपुर में रामविलास पासवान जी की आदमकद प्रतिमा लगे। साथ मांग उठाई थी कि एक व्हीलर रोड स्थित पार्टी कार्यालय को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया जाए।
पासवान पटना में लगनी चाहिए प्रतिमा: सुशील मोदी
वहीं बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी का कहना है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बिहार के विकास व राष्ट्रीय राजनीति में अहम योगदान दिया है। जिसको देखते हुए बिहार की राजधानी पटना में उनकी प्रतिमा लगे। रामविलास पासवान ने दलितों को आगे बढ़ाने के लिए लगातार संघर्ष किया, पर उन्होंने कभी भी नफरत की सियासत नहीं की थी। उनकी जयंती पर राजकीय समारोह होना चाहिए। साथ ही कहा कि रामविलास पासवान एनडीए की सियासत के अहम शिल्पी रहे थे।
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