आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में रामविलास पासवान को छोटे भाई रामचन्द्र की कमी खलेगी

पीएम नरेन्द्र मोदी समेत देश के तमाम नेताओं ने दुख जताया था। बड़े भाई रामविलास ने कहा था कि प्रिय रामचन्द्र तुम कहां चले गये हम लोगों को मालूम नहीं। तुम जहां हो, खुश रहो। इस बार होने वाले विधानसभा के चुनाव में रामविलास का लाडला साथ नहीं होगा। बिहार की जनता को भी अपने नेता की इस बार होने वाले चुनावों में कमी खलेगी। कई दशक से अपने बड़े भाई रामविलास पासवान का कंधा से कंधा मिलाकर सियासी मोर्चे पर साथ देते आ रहे थे। बिहार में लोजपा को मजबूत बनाने में इनकी अहम भूमिका रही। साथ ही केंद्र सरकारों में भी इनकी मौजूदगी में ही लोजपा शामिल हो गई थी। ये सालों तक लोजपा के लिए निस्वार्थ सेवा करते रहे। रामचन्द्र सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। ये बिहार में हर पीड़ित के साथ खड़े नजर आते थे। समाज की बेहतरी के लिए इन्होंने जनता के मुद्दों को बिहार की विधानसभा और संसद में प्रमुखता से उठाया था।
रामचंद्र पासवान का दीघा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था। बड़े बेटे कृष्ण राज पासवान ने दी मुखाग्नि दी। सीएम नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे समेत कई नेता पासवान की अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे। इससे पहले विमान से रामचंद्र पासवान का पार्थिव शरीर पटना लाया गया था । एयरपोर्ट से पार्थिव शरीर लोजपा दफ्तर ले जाया गया जहां भारी संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। सीएम नीतीश कुमार ने भी लोजपा दफ्तर में रामचंद्र को श्रद्धांजलि दी थी।
रामचन्द्र पासवान का जन्म एक जनवरी 1962 को बिहार के खगड़िया जिला के अलौली प्रखंड अंतर्गत शहरबन्नी गांव में हुआ था। इनका विवाह 1984 में सुनैना कुमारी से हुआ था। इनके दो पुत्र, एक बेटी है। इनके पुत्रो के नाम कृष्ण राज और प्रिंस राज है। प्रिंस वर्तमान में सांसद है। रामचन्द्र पासवान ने मैट्रिक तक की शिक्षा ग्रहण की थी। इसके बाद समाजसेवा को ही इन्होंने अपना प्रोफेशन बना लिया।
रामचंद्र पासवान ने दिल्ली स्थित राममनोहर लोहिया अस्पताल में 21 जुलाई 2019 की दोपहर करीब डेढ़ बजे अंतिम सांस ली थी। रामचंद्र पासवान ने 11 जुलाई को दिल्ली स्थित आवास पर रात में सीने में दर्द की शिकायत की थी। इसके बाद ही उन्हें दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उनके स्वास्थ्य को देखते हुए वेंटिलेटर पर भी रखा था। रामविलास पासवान पूरे परिवार समेत भाई का हालचाल लेने अस्पताल पहुंचे थे। रामचन्द्र पासवान एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा भारत की सोलहवीं लोकसभा में सांसद थे। 2014 के चुनावों में इन्होंने बिहार की समस्तीपुर सीट से लोक जनशक्ति पार्टी की ओर से भाग लिया था।
1999 में पहली बार संसद पहुंचे थे रामचंद्र
रामचंद्र पासवान 1999 में पहली बार जदयू के टिकट पर संसद पहुंचे थे। 2004 में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे व जदयू के दशाई चौधरी को पटखनी दी। 2009 में जदयू के महेश्वर चौधरी से चुनाव हार गए। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का फायदा रामचंद्र पासवान को भी मिला और वे राजद के अशोक कुमार को हराकर तीसरी बार संसद पहुंचे। हाल ही में संपन्न हुए 17वें लोकसभा चुनाव में रामविलास ने छोटे भाई को टिकट दिया और वे जीतकर चौथी बार दिल्ली पहुंचे।
रामचन्द्र के निधन के बाद बेटे प्रिंस बने समस्तीपुर से सांसद
रामचंद्र पासवान के निधन के बाद बिहार की समस्तीपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। इस सीट से एनडीए की सहयोगी पार्टी लोजपा ने रामचन्द्र पासवान के बेटे प्रिंस पासवान को चुनाव मैदान में उतारा। समस्तीपुर सीट से लोजपा प्रत्याशी प्रिंस पासवान ने जीत हासिल की। प्रिंस की इस सीट से जीत तय मानी जा रही थी, क्योंकि उपचुनाव से पहले ये सीट उनके ही पिता रामचंद्र पासवान की थी। प्रिंस ने पासवान खानदान की इस पुश्तैनी सीट से जीत हासिल कर लोजपा का कब्जा बरकरार रखा। प्रिंस ने अपने पिता की इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार डॉ अशोक राम को हराया। प्रिंस की जीत इस मायने में भी खास रही। रामविलास पासवान ने भतीजे की जीत के लिए सीएम नीतीश कुमार को भी चुनाव प्रचार में उतार दिया था।
पिता की जीत के रिकॉर्ड को रखा कायम
बिहार की समस्तीपुर सीट से वर्ष 2014 में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने छोटे भाई रामचंद्र पासवान को जीत दिलाई थी। इस वजह से ये उनके लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई थी। प्रिंस राज की जीत से एलजेपी अपना गढ़ बचा पाने में कामयाब हो गई।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS