बंदर की मौत के चलते पूरे गांव में पसरा मातम, हिंदू रीति रिवाज से किया अंतिम संस्कार

बंदर की मौत के चलते पूरे गांव में पसरा मातम, हिंदू रीति रिवाज से किया अंतिम संस्कार
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बिहार के समस्तीपुर में एक बंदर का निधन होने से पूरे गांव में मातम पसर गया। इसके बाद सभी गांव वालों ने एकत्र होकर हिंदू- रीति- रिवाज के साथ बंदर का अंतिम संस्कार किया।

बिहार (Bihar) के समस्तीपुर (Samastipur) जिले स्थित एक गांव मानवता की अनोखी मिशाल (Unique example of humanity) पेश करके चर्चाओं में आ गया है। जहां एक बंदर की मौत (Monkey death) की वजह से पूरे गांव में मातम छा गया और ग्रामीणों ने उस बंदर के मृत शरीर का पूरे हिंदू रीति रिवाजों का पालन करते हुए अंतिम संस्कार (Funeral) किया। समस्तीपुर जिले रोसरा अनुमंडल इलाका स्थित सिंघिया गांव (Singhia Village) में यह अनोखी मिशाल पेश की गई है। वो है एक बेजुबान जानवर (Wild animal) की अंतिम विदाई, जो ग्रामीणों ने ऐसे की है जैसे अपने बीच से जाने वाले इंसान की करते हैं। यह मिशाल पूरे क्षेत्र में चर्चाओं का विषय भी बनी हुई है। बंदर की मौत पर यहां के तमाम ग्रामवासियों की आंखे भी नम हो गई।

जानकारी के अनुसार सिंघिया गांव में बंदर का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों को निभाते हुए किया गया। जो स्वयं में एक अनोखा मामला है। यह पूरा घटनाक्रम सिंघिया प्रखंड क्षेत्र के दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के पास का है। इस स्थान पर करीब एक माह पहले एक बंदर पहुंचा था। साथ ही वह बंदर आसपास के पेड़ों पर निवास करने लगा। इस बीच बंदर का स्वास्थ्य बिगड़ गया। इस दौरान ग्रामीण उस बंदर को लगातार भोजन देते रहे। ग्रामीणों ने बीमार बंदर का मिलकर उपचार भी करवाया।

बीमार बंदर को सिंघिया गांव के लोगों द्वारा बचाए जाने का पूरा प्रयास किया गया। लेकिन उक्त बंदर ने बीते तीन-चार दिनों से भोजन करना छोड़ दिया था। वहीं रविवार को उस बीमार बंदर का निधन हो गया। उक्त बंदर लोगों के बीच रहने की वजह से काफी घुलमिल गया था। इस वजह से उस बंदर की मौत पर पूरे गांव में मातम पसर गया।

बताया जा रहा है कि सिंघिया ग्रामीणों ने पूरे सम्मान के साथ बंदर को पितांबरी समर्पित भी किया। फिर ग्रामीण बंदर के मृत शरीर को गाजे-बाजे के साथ गांव के ही श्मशान घाट में लेकर पहुंचे। जहां बंदर के शव का हिंदू रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। ज्यादातर यह देखने को मिलता है कि जब किसी बेजुबान जानवर की मौत हो जाती है तो उस ओर लोग देखना भी पसंद नहीं करते हैं। पर सिंघिया के ग्रामीणों ने जो कार्य करके दिखाया है। वो समाज के लिए अपने आप में एक बड़ा संदेश है और मानवता की अनोखी मिशाल पेश भी है।

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