सेनारी नरसंहार कांड में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, 34 लोगों की गई थी हत्या

सेनारी नरसंहार कांड में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, 34 लोगों की गई थी हत्या
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पटना उच्च न्यायालय ने निचली अदालत से दोषी ठहराए गए 15 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। इसके अलावा निचली अदालत द्वारा सुनाई सजा को भी रद्द कर दिया था। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट बिहार के सेनारी नरसंहार कांड में सुनवाई करने के लिए राजी हो गया।

बिहार (Bihar) के करीब दो दशक पुराने सेनारी नरसंहार मामले (Senari massacre case) में पटना हाईकोर्ट के फैसले (Patna High Court verdict) के खिलाफ शीर्ष अदालत (Supreme Court) सुनवाई करने के लिए सोमवार को तैयार हो गई। पटना हाईकोर्ट ने सेनारी नरसंहार मामले में 14 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। वहीं बिहार सरकार (Bihar Government) ने सेनारी नरसंहार मामले में पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जहानाबाद (Jehanabad) जिले के सेनारी गांव में माओवादी संगठनों द्वारा उस दौरान दर्दनाक तरीके से 34 लोगों की हत्या (34 people killed) कर दी थी।

सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर व न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने सेनारी नरसंहार मामले में बरी किये गये सभी आरोपियों को बिहार सरकार की अपील पर नोटिस जारी किए हैं। राज्य सरकार ने अधिवक्ता अभिनव मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में पटना हाईकोर्ट के 21 मई के आदेश को चुनौती दी है। राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई अपील में कहा गया है कि प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही पर विचार नहीं किया गया।

इसमें बताया गया है कि अभियोजन के केस को कुल 23 गवाहों का समर्थन मिला था, जिनमें 13 प्रत्यक्षदर्शी शामिल थे। कहा गया है कि ये लोग उस घटना के दौरान अपने परिवार के सदस्यों को खो चुके थे। इन 13 गवाहों में घटना के दौरान घायल हुए तीन प्रत्यक्षदर्शी भी थे। यहां ये भी बता दिया जाए कि किसी भी आरोपी ने डेट, समय, स्थान आदि का विरोध नहीं किया था, पर कानून व साक्ष्य का सही मतलब नहीं निकाले जाने की वजह से आरोपी अब तक निर्दोष हैं।

अपील में कहा गया है कि हाईकोर्ट का निष्कर्ष साक्ष्यों के व सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई सिद्धातों पर घोषित कानून के विपरीत था। यह भी बताया गया है कि पटना हाईकोर्ट का आदेश सरकार की दलील व आरोपियों को दोषी सिद्ध करने के निचले कोर्ट के फैसले पर विचार करने में भी नाकाम रहा था।

याद रहे पटना हाईकोर्ट ने निचले कोर्ट द्वारा नवंबर 2016 में आरोपियों को दोषी करार दिये जाने के फैसले के खिलाफ अपील स्वीकार की थी। निचले कोर्ट ने दोषियों को कई अवधियों की कैद की सजा सुनाई थीं। इस केस में निचली अदालत ने दुखन राम कहार, बूधन यादव, बचेश कुमार सिंह, गोपाल साव, सतेन्द्र दास, बुटई यादव, लल्लन पासी, करीमन पासवान, द्वारिक पासवान, गोराय पासवान, उमा पासवान को मौत की सजा व मुंगेश्वर यादव, अरविन्द पासवान और विनय पासवान को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। आपको बता दें सेनारी नरसंहार में सवर्ण वर्ग के 34 लोगों की 19 मार्च 1999 को प्रतिबंधित माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर के लोगों द्वारा एक गांव में हत्या कर दी गई थीं। यह जगह पहले जहानाबाद जिले में पड़ती थी। वर्तमान में यह जगह अरवल में पड़ती है।

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