Sunday Special : बीएयू में काले अमरूद के पौधों पर फलन शुरू, इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ही जानें इसके कई फायदे

Sunday Special : बीएयू में काले अमरूद के पौधों पर फलन शुरू, इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ही जानें इसके कई फायदे
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Sunday Special: बिहार के भागलपुर में बीते वर्षों में काले अमरूद के पौधे लगाए गए थे। जिन पर अब फल लगने शुरू हो गए हैं। काला अमरूद को बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) की ओर से स्वास्थ्य लाभ के लिए काफी उपयोगी बताया गया है।

बिहार (Bihar) के किसानों (Farmers) के लिए राहत प्रदान कर देने वाली जानकारी सामने आई है। जानकारी ये है कि पहली बार भागलपुर (Bhagalpur) में काला अमरूद का उत्पादन (production of black guava) हुआ है। यह किसानों के लिए तो लाभकारी सिद्ध हो ही सकता है। साथ ही काला अमरूद के स्वास्थ्य लाभ (health benefits of black guava) भी काफी हैं। जानकारी के अनुसार बिहार कृषि विश्वविद्यालय 'Bihar Agricultural University' (बीएयू) में करीब दो वर्ष पूर्व अमरूद के पौधे लगाए गए थे। जिन पर अब फल आने शुरू हो गए हैं। बीएयू (BAU) की जानकारी के अनुसार काला अमरूद के एक-एक पौधे पर चार से पांच किलो का फलन हुआ है। जिनमें से एक अमरूद का औसत वजन सौ-सौ ग्राम के करीब है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय अब इस कोशिश में जुट गया है कि किस तरह काला अमरूद के पौधे को आम किसानों के इस्तेमाल में लाया जा सके। बताया जा रहा है कि अभी तक देश में कहीं भी काला अमरूद का कमर्शियल इस्तेमाल (commercial use of black guava) नहीं हो रहा है।

बीएयू के अनुसंधान के सह निदेशक डॉक्टर फिजा अहमद के अनुसार बिहार कृषि विश्वविद्यालय में पहली बार काला अमरूद का फलन शुरू हुआ है। उनका कहना है कि यहां की मिट्टी और वातावरण काला अमरूद के फल के लिए उपयुक्त है। काला अमरूद का पौधा दो वर्षों में फल देने लगता है। साथ ही उनका कहना है कि अब काला अमरूद के प्रचार-प्रसार की जरूरत है, जिससे कि काला अमरूद बाजार में बिक सके। डॉक्टर फिजा अहमद के मुताबिक भविष्य में हरे अमरूद की तुलना में काला अमरूद की कर्मिशयल वैल्यू 10 से 20 फीसदी ज्यादा होगी। आमतौर पर बाजारों में अमरूद 30 रुपये से 60 रुपये किलो तक बिकता है।

काला अमरूद बुढ़ापे पर करता है नियंत्रण

सह निदेशक डॉक्टर फिजा अहमद के अनुसार काला अमरूद के अंदर एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा ज्यादा होती है। इसके सेवन से बुढ़ापे पर नियंत्रण होता है। साथ काला अमरूद को खाने से लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता 'immunity' (इमन्युटी) बढ़ती है।

घर की बगीची का बन सकता है शान

डॉक्टर फिजा अहमद ने कहा कि काला अमरूद के पेड़ का पत्ता हरे पत्ते के पेड़ की तुलना में अलग होता है। इसमें काला अमरूद फलने से घर की बगिया में भी चार चांद लग जाएंगे। इस वजह से आने वाले दिनों में काला अमरूद के पौधे की मांग बढ़ेगी। इसके अलावा किसान बढ़-चढ़कर काला अमरूद को अपने बागीचों में लगाएंगे।

किसान भी काला अमरूद की खेती में दिखा रहे रुचि

डॉक्टर फिजा अहमद ने बताया कि काला अमरूद की उत्पादन यानी कि खेती करने के लिए यहां कई किसान काफी उत्सुक हैं। साथ इसको लेकर वे बिहार कृषि विश्वविद्यालय के संपर्क में हैं। सुल्तानगंज निवासी एक किसान का कहना है कि अभी तक वे आम के साथ - साथ एल-49 और इलाहाबादी वेरायटी के अमरूद की खेती कर रहे हैं। लेकिन अब किसानों को बिहार कृषि विश्वविद्यालय की ओर से काला अमरूद का पौधा वितरित किया जायेगा तो बागीचों में ज्यादा से ज्यादा काला अमरूद का पौधा लगाया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में जगदीशपुर, सुल्तानगंज, सबौर, नाथनगर, कहलगांव और पीरपैंती आदि इलाकों में हरे अमरूद की काफी ज्यादा खेती होती है। इन जगहों के किसान एल-49, पंत प्रभात, ललित और इलाहाबाद सफेदा आदि किस्मों के अमरूद का उत्पादन कर रहे हैं।

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