Sunday Special: जहानाबाद में 345 की ये 'बराबर गुफाएं' देखकर चकित रह जाते हैं पर्यटक, यह है इनके पीछे का रहस्य, अब पहुंचना भी आसान

Sunday Special: जहानाबाद में 345 की ये बराबर गुफाएं देखकर चकित रह जाते हैं पर्यटक, यह है इनके पीछे का रहस्य, अब पहुंचना भी आसान
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बिहार का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। बिहार की कई धरोहर दुनिया में लोकप्रिय रही हैं। इनमें से ही बराबर की गुफाएं हैं। जो जहानाबाद जिले में स्थित हैं। ये मौर्य काल में बनाई गई थीं। बराबर की गुफाएं देखने के लिए हर वर्ष सैकड़ों पर्यटक आते हैं।

बिहार का इतिहास (History of Bihar) काफी गौरवशाली रहा है। बिहार (Bihar) की धरती पर प्राचीन में कई शूरवीरों ने जन्म लिया है। ऐसे शूरवीरों ने बिहार में नई इबारत भी लिखीं। उन्हीं में से एक प्राचीन धरोहर (Ancient heritage of Bihar) है, बिहार के जहानाबाद में बराबर की गुफाएं (Barabar Caves in Jehanabad)। बराबर की गुफाएं बिहार ही नहीं पुरी दुनिया में लोकप्रिय रही हैं। बराबर की गुफाएं भारत की ऐसी सबसे प्राचीन गुफा हैं, जिनको चट्टान काटकर बनाया गया था। इस जगह पर मौर्य काल की वास्तुकला और शिलालेख आज भी मौजूद हैं।

गया (Gaya) शहर से 24 किलोमीटर की दूरी पर जहानाबाद जिले में बराबर की ये गुफाएं स्थित है। ये गुफा 'सतघरवा' के नाम से भी जानी जाती हैं। इनमें से अधिकतर गुफाओं का संबंध मौर्य काल (322-185 ईसा पूर्व) से है और वहीं कई गुफाओं में अशोक के शिलालेखों को देखा जा सकता है। ये गुफाएं बराबर (4 गुफाएं) व नागार्जुनी (3 गुफाएं) की जुड़वां पहाड़ियों में मौजूद हैं। ज्यादातर गुफाएं दो कक्षों की बनी हुई हैं। इनको पूरी तरह से ग्रेनाइट को तराशकर बनाया गया है।

गुफाओं के नाम

बराबर पहाड़ियों की गुफाएं

1. लोमस ऋषि गुफा

2. सुदामा गुफा

3. करण चौपर

4. विश्व जोपरी

नागार्जुन की गुफाएं

1. गोपी गुफा

2. भायक गुफा

3. वैदंतिका गुफा


ऐसी नजर आती है बराबर गुफाएं

गुफाओं की प्रवेश दीवार और द्वार पर कई शिलालेख मौजूद हैं। जो यह सिद्ध करते हैं कि इस स्थान पर कभी बौद्ध भिक्षु रहा करते थे। इन गुफाओं को मगरमच्छ की तरह दिखने वाली चट्टानों को काटकर बनाया गया है। गुफाओं के कमरों में इंटीरियर पॉलिश है। यह आज भी सुरक्षित है।


चट्टानों को काटकर बनाए गए कमरे

चट्टानों को काटकर गुफाओं में बनाए गए ये कमरे अशोक (273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व) व उनके बेटे दशरथ के मौर्य काल, तीसरी सदी में बनाये गये हैं। वैसे वो खुद बौद्ध थे, लेकिन उन्होंने एक धार्मिक सहिष्णुता की नीति के मद्देनजर कई जैन संप्रदायों को फल-फूलने का अवसर दिया। ये गुफाएं आजीविका संप्रदाय के संयासियों द्वारा इस्तेमाल की गई थीं। इन गुफाओं की स्थापना मक्खाली गोसाला द्वारा की गई थी। वह बौद्ध धर्म के संस्थापक सिद्धार्थ गौतम व जैन धर्म के अंतिम एवं 24वें तीर्थंकर महावीर के समकालीन थे।

ऐसे यहां तक पहुंच सकते हैं पर्यटक

पर्यटक अगर बराबर गुफाओं का दीदार करना चाहते हैं तो हवाई, ट्रेन और सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। बराबर गुफाओं के सबसे पास में गया एयरपोर्ट है। इन गुफाओं से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा इन गुफाओं से पटना एयरपोर्ट की दूरी 105 किलोमीटर है।

बराबर गुफाओं तक पहुंचे के लिए ट्रेन सेवा भी उपलब्ध है। गुफाओं के सबसे करीब में बेला रेलवे स्टेशन पड़ता है। जो इन गुफाओं से केवल 8 किमी दूर है। वहीं गया रेलवे स्टेशन की दूरी इन गुफाओं से 20 किलोमीटर है।

जहानाबाद की बराबर गुफाओं तक सड़क मार्ग द्वारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। ये गुफाएं गया शहर से केवल 20 किलोमीटर दूर है। इसलिस गुफाओं तक पहुंचने के लिए गया से आपको आसानी से बस मिल जाएगी। पटना समेत अन्य शहरों से भी बराबर गुफाओं के लिए बसें चलती हैं।

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