Sunday Special: स्वतंत्रता की जंग में स्वराज आश्रम का है विशेष स्थान, यहां डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने खाई थी लाठियां

स्वतंत्रता (Freedom) के लिए जंग में बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) जिले के बिहपुर प्रखंड में स्थित स्वराज आश्रम (Swaraj Ashram) का बिहार ही नहीं देशभर के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास (history of freedom struggle) में अहम स्थान है। यहां स्वतंत्रता आंदोलन (freedom movement) के दौरान सत्याग्रह (satyagraha) कर रहे देश के प्रथम राष्ट्रपति एवं भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Bharat Ratna Dr. Rajendra Prasad) के ऊपर अंग्रेजी हुकूमत ने लाठियां बरसाई गई थीं। इस बात का जिक्र देश में स्वतंत्रता के लिए लड़ी गई जंग के इतिहास में प्रमुखता से किया गया है।
जानकारी के अनुसार बिहार के सारण जिले (Saran District) के जीरादेई में 3 दिसंबर 1884 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभाई थी। साथ ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद कांग्रेस (Congress) ज्वाइन करने वाले बिहार के प्रमुख नेताओं में से एक थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद वकालत में पोस्ट ग्रेजुएट थे। साथ ही ये महात्मा गांधी के बहुत बड़े पक्षधर थे। 1931 में सत्याग्रह आंदोलन व 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद को महात्मा गांधी के साथ जेल भी जाना पड़ा था। वर्ष 1934 से लेकर 1935 तक डॉ. राजेंद्र प्रसाद कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे थे। वहीं 1946 में हुए चुनाव के बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद को केंद्र सरकार (central government) में खाद्य एवं कृषि मंत्री की जिम्मेदारी भी दी गई थी। देश के प्रति उनके योगदान को देखते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद को देश का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न (Bharat Ratna) से भी नवाजा गया।
उन दिनों भागलपुर के बिहपुर का स्वराज आश्रम रणबांकुरों का केंद्र बना हुआ था। यहां सूत कताई के साथ कांग्रेस ऑफिस (Congress Office) भी था। स्वराज आश्रम में 1930 में सत्याग्रह आंदोलन के दौरान जमकर विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई थी। शराब के ठेके में तोडफोड़ भी हुई थी। स्वराज आश्रम में राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया गया। यह अंग्रेजी हकूमत को बुरा लगा था। यहीं पर जिला मजिस्ट्रेट व एसपी पुलिस (Police) बल के साथ तैनात थे। इसके अलावा डॉ. राजेंद्र प्रसाद की बिहपुर में बैठक चल रही थी। स्वतंत्रता सेनानियों का साहस देख अफसर बौखलाए गए थे। इसके बाद ये सभी बैठक में आंदोलनकारियों के ऊपर लाठियां बरसाने लगे। इस दौरान डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पर भी लाठियां बरसाईं गईं। इस दौरान डॉ. राजेन्द्र प्रसाद गंभीर रूप से जख्मी हुए थे। आंदोलनकारियों ने अपनी जान हथेली पर रखकर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को बचाया था। यह खबर जंगल की आग की तरह बहुत कम समय में पूरे भागलपुर जिले में फैल गई थी और इसके बाद स्वतत्रता के लिए लड़ी जा रही जंग और तेज हो गई थी।
आज भी भागलपुर के बिहपुर का स्वराज आश्रम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान घटी उस घटना का गवाह बना हुआ है। बिहपुर निवासी हर वर्ष उक्त घटना की याद में कार्यक्रम आयोजित करते हैं। लेकिन स्वतंत्रता का यह स्मारक इन दिनों उपेक्षा का शिकार है। इसको राष्ट्रीय स्तर के स्मारक के रूप में संवारने की जरूरत है।
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