Sunday Special: लॉकडाउन के दौरान बिहार में तरबूज किसानों की बढ़ी ये परेशानियां

Sunday Special: लॉकडाउन के दौरान बिहार में तरबूज किसानों की बढ़ी ये परेशानियां
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बिहार में कोरोना संक्रमण पर काबू पाने की वजह से लॉकडाउन लगाया गया है। वहीं लॉकडाउन के दौरान वाहनों का परिचालन भी करीब-करीब ठप है। इन सभी दिक्कतों की वजहों से बिहार में तरबूत किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं।

बिहार (Bihar) में कोरोना वायरस (Corona Virus) की चेन को तोड़ने के लिए बिहार सरकार (Bihar Government) की ओर से लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया है। लॉकडाउन के दौरान लोग घरों में बंद हैं। लॉकडाउन में वाहनों का परिचालन भी बंद सा है। दूसरी ओर बिहार में नदियों के किनारों पर उगाई जाने वाली तरबूज (watermelon), खीरा, ककड़ी और कद्दू (Cucumber and Pumpkin) समेत इत्यादि खेती (farming) से होने वाले कारोबार पर संकट मंडराने लगा है। जानकारी के अनुसार नदी के किनारे फैले दियारा क्षेत्र में खीरा, ककड़ी कद्दू और तरबूज आदि की खेती पर संकट मंडरा गया है। दियारा क्षेत्र में करीब 300 एकड़ में तरबूज के साथ-साथ खीरा, ककड़ी, तोरई और कद्दू समेत अन्य कई प्रकार की हरी सब्जियों की खेती की जाती है। दियारा क्षेत्र समेत बिहार के दूसरे जिलों से देश के छह राज्यों सहित नेपाल देश में तरबूज समेत इन सब्जियों की आपूर्ति की जाती है।

जानकारी के अनुसार दिल्ली, यूपी, आंध्रप्रदेश, सिलीगुड़ी और कोलकाता में बिहार से तरबूत समेत इन सभी उत्पादों की आपूर्ति की जाती है। पर इस बार दूसरे राज्यों के एक भी व्यापारी ने किसानों के इन उत्पादों को खरीदने के लिए संपर्क नहीं किया है। सप्ताह भर में तरबूज खेत से निकलने लगेगा। लेकिन बिहार के किसानों से तरबूज को खरीदने के लिए अब तक कोई व्यापारी आगे निकलकर नहीं आया है। इसको लेकर बिहार में इन तरबूज समेत इन उत्पादों की खेती करने वाले किसानों के बीच निराशा का माहौल व्याप्त है। बिहार में तरबूज खीरा, ककड़ी, तोरई और कद्दू की खेती करने वाले किसानों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। नदी किनारे के ज्यादातर किसानों ने कर्ज लेकर कर इन फसलों को उगाया है। इन फसलों के बल पर ही ये किसान अपना वर्ष भर का खर्चा निकलते हैं। किसानों के परिवार के खाने-पीने से लेकर के बच्चों की पढ़ाई और लिखाई भी इसी खेती पर ही निर्भर है।

सिर्फ छोटे से इलाके में 300 एकड़ में फैली है ये खेती

बताया जा रहा है कि सिर्फ निमुइया और आसपास के गांवों में ही करीब 100 किसानों ने ही करीब 300-400 एकड़ भूमि में तरबूज व ककड़ी, खीरी आदि की खेती की है। इन किसानों का कहना है कि एक एकड़ की खेती में करीब 75 हजार रुपये का खर्चा आता है। इसमें बीज से लेकर मवेशी खाद व सिंचाई इत्यादि शामिल है। किसानों का कहना है कि खेती में अच्छे से उत्पादन होने पर कारीब प्रति एकड़ दो लाख रुपये की कमाई भी हो जाती है। इन फसलों की जानवर आदि से सुरक्षा करने के लिए किसान खेत में ही बांस और फूस की बनी झोंपड़ी में निवास करते हैं।

9 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है तरबूज

बाजार में इस साल तरबूज 900 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। वहीं खीरा 250 रुपये सैकड़ा और कद्दू प्रति सैकड़ा एक हजार रुपये में बिक रहा है। इन किसानों की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि यदि लॉकडाउन की वजह से बिहार में दूसरे राज्यों से कारोबारी नहीं आये तो तरबूज, ककड़ी, खीरा और कद्दू बिक नहीं पायेगा। जिससे तमाम किसानों की इन पर आई लागत बर्बाद हो जायेगी।

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