Sunday Special: सोनपुर विश्व प्रसिद्ध पशु मेला में पहुंचते हैं देशी-विदेशी लाखों पर्यटक, जानें इसकी खासियत

Sunday Special: सोनपुर विश्व प्रसिद्ध पशु मेला में पहुंचते हैं देशी-विदेशी लाखों पर्यटक, जानें इसकी खासियत
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बिहार के सोनपुर में हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से महीने भर के लिए विश्व प्रसिद्ध पशु मेला आयोजित होता है। कोरोना की वजह से यह मेला पिछले वर्ष आयोजित नहीं हो सका था। इस मेले में देश-विदेश के हजारों पर्यटक पहुंचते हैं।

गंगा और गंडक के संगम पर सोनपुर (sonpur) में प्रत्येक साल कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला (Asia's largest cattle fair) आयोजित होता है। यह मेला एक महीने तक चलता है। इसको हरिहर क्षेत्र मेला (Harihar Kshetra Mela) भी पुकारा जाता है। यह मेला गौरवशाली इतिहास और धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक माना जाता है। सोनपुर के विश्व प्रसिद्ध मेले (world famous fair of sonpur) में लोक संस्कृति समेत जनजीवन की जीती-जागती तस्वीरें भी पेश की जाती हैं। मिथिलांचल, भोजपुर, बज्जिकांचल व मगध क्षेत्रों में रहने वाले लोग इसको छतर मेला कहकर भी पुकारते हैं।

सोनपुर मेला की विशेषताएं

इसका विश्वव्यापी स्वरूप ही सोनपुर मेला की खासियत है। वहीं हरिहर इलाका भारतवर्ष में धर्मक्षेत्रों में काफी अहम स्थान रखता है। हर साल सोनपुर मेला में देश और विदेश के विभिन्न इलाकों से करीब 10 से 15 लाख पर्यटक एवं तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं। इस मेला से शामिल होकर ये पर्यटक एवं तीर्थयात्री यहां के प्राचीन मठ-मंदिरों में अपनी पूजा-अर्चना भी अर्पित करते हैं। सोनपुर का यह हरिहर क्षेत्र मेला देश के प्राचीनतम मेलों में से एक बताया जाता है।

एक अंग्रेज लेखक के मुताबिक सोनपुर मेला में वर्ष 1846 से अंग्रेजों ने भी रुचि ली थी। अंग्रेजो ने आमलोगों के बीच इस मेला की लोकप्रियता व उपयोगिता को परखा। जिसके बाद अंग्रेजों द्वारा यहां की यातायात और मेला की व्यवस्था में अहम सुधार किए गए। कहा जाता है कि अंग्रेजी शासन में सोनपुर मेला की तड़क-भड़क अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई थी। इस मेला में भारतीय रइसों की नकल करते हुए एक ओर अंग्रेज हुक्का पीने का भी लुत्फ उठाते हुए नजर आत थे। वहीं दूसरी ओर अंग्रेज राजाओं, नवाबों संग लश्कर समेत टेंट की गाड़ते दिखाई देते थे। मेला में दूर-दूर से लोक कलाकार पहुंचते थे। मेले में पौराणिक कथाओं पर आधारित लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों भी आयोजित होते थे। सोनपुर मेला में तवायफों की महफिले भी सता करती थीं। पर बाद के वर्षों में सोनपुर के इस मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का स्वरूप परिवर्तित होता चला गया। देखते -देखते सोनपुर मेला में थियेटर में अश्लील डांस कार्यक्रम भी पेश होने लगे।

जानें मेले का मुख्य आकर्षण

सोनपुर मेला के दौरान मठ-मंदिरों के इस छोटे से शहर में साधुगाछी तीर्थयात्रियों के आकर्षण और भक्ति का मुख्य केंद्र होती है। सोनपुर के पुराने पुल से उतरने के बाद इस जगह पर आया जा सकता है। साधुगाछी में कई मतावलंबियों व अखाड़े के पंडाल लगते हैं। इसका मुख्य बाजार मीना बाजार होता है। इसमें देश के हर कोने से तमाम प्रकार के वस्तुओं की सैकड़ों दुकानें आकर सजती हैं। वैसे सोनपुर मेला का अन्य मुख्य आकर्षण का केंद्र पशुओं व पंछी की खरीद-बिक्री होती है। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की अच्छी नस्ल के बैलों की जोड़ी, हाथी और ऊंट एवं उसके छोटे-छोटे बछड़ों को भी देखकर लोग सोनपुर मेला का लुत्फ उठाते नजर आते हैं। हय गाय का भी काफी अनोखा बाजार माना जाता है। कहते हैं इस बाजार में वह गाय भी मिल जाती है। जो आपको दुनियाभर में तलाशने के बाद भी नहीं मिल पाती है।

इतिहास के पन्नों में इस मेला का महत्व

अंग्रेज लेखक मार्क सैंड ने भी अपनी पुस्तक सोनपुर मेला का जिक्र किया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि वह 1978 में हाथी पर सवार होकर कोर्णाक से कोनहरा घाट तक पहुंचे थे। फिर उन्होंने सोनपुर मेला के हाथी बाजार में अपना पड़ाव डाला था। उनकी पुस्तक के आधार पर औरंगजेब के दौर में तातार व अरब देशों से भी लोग सोनपुर मेला में हाथी की खरीद-बिक्री करने के लिए आते थे। यह भी कहा जाता है कि मौर्य वंश के संस्थापक सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के दौर में सोनपुर का मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा बाजार होता था। ये भी बताया जाता है कि औरंगजेब के जेल से जब छत्रपति शिवाजी रिहा हुए थे तो वह सबसे पहले सोनपुर के मेला में ही उपस्थित हुए थे। इसके अलावा अंग्रेजों से जंग लड़ने के लिए बाबू वीर कुंवर सिंह ने भी सोनपुर मेला से ही करीब एक हजार अरबी नस्ल घोड़े खरीदे थे।

सोनपुर मेला में ऐसे पहुंचे और यहां डाले ठेरा

जानकारी के अनुसार सोनपुर मेला पटना से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर पड़ता है और वैशाली जिले के मुख्यालय हाजीपुर से 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। वहीं यह सोनपुर मेला स्थल हाजीपुर बस स्टैंड से पांच किलोमीटर दूर है। सोनपुर मेला परिसर तक सड़क मार्ग के जरिए सबसे आसानी से पहुंचा जा सकता है। मेला स्थल से सबसे पास में सोनपुर रेलवे स्टेशन है।

यहां ठहर सकते हैं पर्यटक

सोनपुर मेला में पहुंचने वाले पर्यटकों के ठहरने का प्रश्न है तो वो हाजीपुर शहर में होटल में ठहर सकते हैं। हाजीपुर शहर में हर बजट के होटल स्थित है। इसके अतिरिक्त सोनपुर मेला में बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की ओर से कॉटेज का निर्माण कराया जाता है। इसमें पर्यटकों को सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।

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