Sunday Special: तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब सिखों की आस्था का है केंद्र, यहां जन्मे थे श्री गुरु गोविंद सिंह

सिख पंथ के दसवें एवं अंतिम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह का जन्म (Birth of Guru Sri Guru Gobind Singh) पौष सुदी सप्तमी यानी कि 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना (Patna) स्थित पटना साहिब (Patna Sahib) में हुआ था। जिस जगह पर गुरु जी का जन्म हुआ, वो सालिस राय जौहरी का आवास हुआ करता था। इस जन्मस्थान पर महाराजा रणजीत सिंह द्वारा तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब का निर्माण कराया था। श्री गुरु गोविंद सिंह ने बचपन के 7 वर्ष पटना साहिब में ही व्यतीत किए। संसार में सिखों के 5 प्रमुख तख्तों में तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब का दूसरा नंबर है। यहां सिख पंथ के पंथ गुरु नानक देव, नवें गुरु तेग बहादुर व गुरु गोविंद सिंह के पैर पड़े हैं। पटना साहिब में देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही विदेशों से हजारों संगत दशमेश गुरु की जन्मस्थली के दर्शन के लिए आते हैं।
जत्थेदार ज्ञानी रंजीत सिंह गौहर-ए-मस्कीन के अनुसार, श्री गुरु गोविंद सिंह ने अपनी रचना दशम ग्रंथ में आत्मकथा विचित्र नाटक में लिखी है कि तही प्रकाश हमारा भयो, पटना शहर बिखै भव लयो। वहीं सिख पुस्तक गुरुमत फिलास्फी में भी पटना जन्मे आनंदपुर वासी, गोविंद सिंह नाम अविनाशी वर्णित है। सिख पंथ के नवें गुरु तेग बहादुर ने भी अपने हुकुमनामा में पटना साहिब को गुरु के घर का मान दिया है। तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में कई दर्शनीय धरोहरों को देखने के लिए देशभर के अलावा विदेश की संगत आती है।
पटना साहिब में दर्शनीय धरोहर
श्री गुरु गोविंद सिंह से संबंधित धरोहरों में गुरुग्रंथ साहिब, पगुंडा साहिब, छवि साहिब, गुरु जी के गुलेल की गोली, छोटी सेफ, बचपन के चार तीर, हाथी दांत का खड़ाऊ, चंदन का कंघा, नौवें गुरु के लकड़ी चंदन का खड़ाऊ, गुरु जी का 300 साल पुराना चोला, माता जी का कुआं, गुरु तेग बहादुर, गुरु गोविंद सिंह और माता सुंदरी के हस्तलिखित हुकुमनामों की पुस्तकें, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छोटी बीड़ है।
गंगा के कंगन घाट के बारे में जानें
कहा जाता है कि दशमेश गुरु श्री गोविंद सिंह द्वारा गंगा पटना के कंगन घाट पर खेलते वक्त एक कंगन गंगा में फेंक दिया गया था। जब गुरु महाराज के साथ खेल रहे साथी बच्चे कंगन को निकालने के लिए गंगा में प्रवेश किए तो वहां असंख्य कंगन नजर आए यह देखकर सभी हैरान रह गए। जब मांझी गंगा से कंगन निकाल रहा था तो गुरु श्री गोविंद सिंह ने कहा कि गंगा हमारी तिजोरी है व तुम हमारे कंगन को पहचान कर निकाल लो। उस वक्त तमाम लोगों ने गोविंद सिंह को ईश्वर का स्वरूप माना। इसके बाद से संसार के कोने-कोने से यहां सिख संगत मत्था टेकने के लिए आती है।
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