Sunday Special: कहर बरपा रहा चमकी बुखार, बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए रखें इन बातों का ध्यान

Sunday Special: कहर बरपा रहा चमकी बुखार, बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए रखें इन बातों का ध्यान
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बिहार में इन दिनों मुजफ्फरपुर समेत आसपास के इलाकों में चमकी बुखार ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। यह बीमारी अधिक गर्मी व नमी के मौसम में फैलती है। यदि हम इन सावधानियों को बरते तो अपने बच्चों को चमकी बुखार की चपेट में आने से बचा सकते हैं।

कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बाद बिहार (Bihar) में मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) और उसके आसपास के जिलों में अब चमकी बुखार (Chamki fever) ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। इस वर्ष में चमखी बुखार की वजह से नौ बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं कुछ बीमार बच्चों का मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच में इलाज भी चल रहा है। जानकारी के अनुसार कई वर्षों पहले मुजफ्फरपुर में चमकी नामक बुखार की चपेट में आने की वजह से सैकड़ों बच्चों ने अपनी जान गंवा दी थी। इनमें से ज्यादातर बच्चों की मौतें ब्लड शुगर व हाइपोग्लाइसीमिया की वजह से हुई थीं। वैसे हाइपोग्लाइसीमिया के सिम्टम्स दिमागी बुखार (brain fever) के मरीजों में नजर आते हैं। वैसे बिहार में मुजफ्फरपुर व आसपास के क्षेत्रों में दिमागी बुखार के केस ज्यादातर सामेन आते हैं। कभी इन मामलों की संख्या कम तो कभी ज्यादा हो जाती।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अध्ययन के अनुसार वर्ष 2015-16 में बिहार में 5 वर्ष से कम उम्र के 48 प्रतिशत बच्चे दिमागी बुखार की वजह से काल के गाल में समा गए थे। इस वजह से इस घातक बीमारी से सावधान रहने की आवश्यकता है। यह रोग मस्तिष्क ज्वर या एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (acute encephalitis syndrome) या जापानी इंसेफ्लाइटिस (japanese encephalitis) के नाम से भी जाना जाता है। यह काफी गंभीर बीमारी है। यह बीमारी अधिक गर्मी व नमी के मौसम में ज्यादा फैलती है। इन हालातों के बीच बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी से लोगों को समय-समय पर सतर्क करता रहता है। चमकी बुखार की रोकथाम के उपाय (Remedies for prevention of Chamki Fever) भी बताए जाते हैं। आए जानें कि इस रोग की चपेट में कितने वर्ष तक के बच्चे आ सकते हैं। इस बीमारी लक्षण (Symptoms of Chamki Fever) क्या हैं। साथ ही इस बीमारी के चपेट में आने से अपने बच्चों को बचाए रखने के लिए क्या बचाव उपाय हैं?

इसलिए इसे बोला है चमकी बुखार?

वैसे आम बोलचाल की भाषा में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम को चमकी बुखार बोला जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे पीड़ित मरीज का शरीर अचानक सख्त हो जाता है। साथ ही रोगी के मस्तिष्क व शरीर में ऐंठन स्टार्ट हो जाती है। साधारण बोलचाल की भाषा में इसी ऐंठन को चमकी बोला जाता है।

कौन हो सकता है चमकी बुखार का शिकार?

बिहार स्वास्थ्य विभाग के अनुसार चमकी बुखार की चपेट में एक वर्ष से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चे अधिक आते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना इसका सबसे मुख्य कारण है। इसके अलावा यह बीमारी बहुत ज्यादा गर्मी व नमी के मौसम में काफी तेजी से फैलती है।

ये हैं चमकी बुखार के सिम्टम

चमकी बुखार से प्रभावित बच्चे को लगातार तेज बुखार रहता है। साथ ही बच्चे के शरीर में ऐंठन रहती है। वहीं कमजोरी की स्थिति में बीमार बच्चा बार-बार बेहोश भी हो सकता है। कई मौकों पर तो इससे पीड़ित बच्चे का शरीर सुन्न भी पड़ जाता है। साथ ही बीमार बच्चे के शरीर में झटके लगते रहते हैं। इन सिम्टम पर ध्यान देने व डॉक्टर से संपर्क कर सही समय पर उपचार आवश्यकता होती है। समय पर इलाज मिलने पर इस बीमारी से बीमार बच्चा पूरी तरह ठीक हो जाता है।

बुखार से बचने के लिए करें ये उपाय

आपको बता दें गर्मी के मौसम में खाना हो या फल, ये सभी चीजें जल्दी खराब हो जाते हैं। इस कारण ध्यान रखें कि बच्चा इस तरह की कोई खराब चीज ना खा पाए। सबसे जरूरी अपने बच्चों को गंदगी से बिलकुल दूर रखें। भोजन करने से पहले और भोजन करने बाद में बच्चों के हाथों को अच्छी प्रकार से धुलवाएं। बच्चों को पीने के लिए साफ पानी ही दें। साथ ही बच्चों को धूप में बाहर खेलने ना दें।

इन बातों का जरूर रखें ख्याल

बिहार स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अपने बच्चों को चमकी बुखार से बचाए रखने के लिए इन तीन उपयों का जरूर ध्यान रखें।

1. बच्चों को रात में सोने से पूर्व भरपेट भोजन जरूर करवाएं।

2. रात के बीच में भी उठकर देखें व सुबह में भी उठते ही देखें कि कहीं बच्चा बेहोश या उसको चमकी तो नहीं है।

3. यदि बच्चा बेहोश है या चमकी नजर आए तो तुरंत ही आशा कर्मी को सूचित करें और तुरंत ही 102 एंबुलेंस या जो गाड़ी उपलब्ध हो सके, उससे बच्चे को लेकर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंच जाएं।

अब तक चमकी बुखार से नौ बच्चों की हुई मौत

मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच (SKMCH of Muzaffarpur) में चमकी बुखार से अब तक कुल 9 बच्चों की मौत हो चुकी है। एसकेएमसीएच के अधीक्षक बाबू साहेब झा के अनुसार यहां जनवरी से 16 जुलाई तक करीब 41 बच्चों को भर्ती किया गया। इनमें से कई बच्चों की हालत गंभीर है। जिनका डॉक्टरों की निगरानी में उपचार चल रहा है। वहीं उन्होंने बताया कि अचानक मौसम में परिवर्तन की वजह से बच्चों में संक्रमण की स्थिति बढ़ सकती है। इसके तहत परिजनों को अपने बच्चों पर खास तौर पर ध्यान देना चाहिए।

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