बिहार विधानसभा चुनाव 2020: अधिसूचना के साथ ही आज से शुरू होगा पहले चरण का नामांकन, सीट बंटवारे पर अभी नहीं बनी किसी भी गठबंधन में बात

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 28 अक्तूबर 2020 को मतदान होगा। जानकारी है चुनाव आयोग पहले चरण की वोटिंग के लिए गुरुवार को अधिसूचना जारी करेगा। कोरोना महामारी के दौर में देश में हो रहे पहले विधानसभा चुनावों के तहत आयोग चुनाव संबंधी दिशानिर्देश पूर्व में ही जारी कर चुका है। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार उम्मीदवार ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों तरह से अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे। लेकिन बिहार में नामांकन को लेकर उम्मीदवारों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। क्योंकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन 'एनडीए' व कांग्रेस खेमे के विपक्षी महागठबंधन में फिलहाल सीटों के बंटवारे को लेकर कोई सहमित नहीं बनी है। इसके अलावा आरएलएसपी, बसपा व जनवादी पार्टी सोशलिस्ट' में फिलहाल सीट बंटवारे कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
बिहार में पहले चरण की 71 सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया गुरुवार से शुरू हो रही है। वहीं सूबे में तीनों की गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर अब तक कोई समझौता नहीं हो सका है। ऐसे में नामांकन शुरू होने के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके प्रत्याशियों में बेचैनी दिखाई दे रही है। हालांकि महागठबंधन व एनडीए दोनों ही जल्द ही सीट बंटवारे की घोषणा की बात कर रहे हैं। पर जानकारी के अनुसार बिहार की सियासत को देखते हुए सीट बंटवारे का मामला जल्द हल होता नजर नहीं आ रहा।
सीट बंटवारे पर एनडीए नेताओं को करनी पड़ रही माथापच्ची सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन 'एनडीए' में जदयू व एलजेपी भाजपा की सहयोगी पार्टियां हैं। अब जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा भी एनडीए गठबंधन में शामिल हो गई है। इस कारण सीट बंटवारे पर एनडीए नेताओं को ज्यादा माथापच्ची करनी पड़ रही है। दूसरी ओर एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं। जबकि नीतीश कुमार खेमा सीट समझौते के गणित के कठिन सवाल का जवाब ढूंढने के लिए भाजपा से आस लगाये बैठा है। जानकारी है कि इस बार के चुनाव में जदयू बड़े भाई की भूमिका में नजर आना चाहती है। इस आधार पर जदयू सूबे में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है। साथ ही कल दिल्ली में एनडीए की हुई शीर्ष बैठक में भी तीनों दलों भाजपा, एलजेपी और जदयू के साथ मिलकर और नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला लिया गया। वहीं भाजपा को छोटे भाई का रोल रास नहीं आ रहा है। जानकारी है कि जदयू व भाजपा दोनों ही 100 - 100 सीटों पर मैदान में उतरें। वहीं बाकी की 43 सीटों को जीतनराम मांझी और चिराग पासवान की पार्टियों के बीच बांट दिया जाये। आपको बता दें बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं।
सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन की भी स्थिति अच्छी नहीं
विपक्षी महागठबंधन में भी सीट बंटवारे को लेकर कुछ ऐसी ही स्थिति है। यहां हालात ये हो गये हैं सीट की उम्मीद लगाए बैठे दल गठबंधन से दूर होने लगे हैं। महागठबंधन से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी तो पहले ही अलग हो चुके हैं। बीते मंगलवार को आरएलएसपी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी बसपा के साथ मिलकर अलग गठबंधन बना लिया था। इसके अलावा अब जानकारी है कि सीपीआई (एमएल) ने भी विपक्षी महागठबंधन से दूरी बना ली है। सीपीआई (एमएल) ने महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बनने पर 30 विधानसभा क्षेत्रों की पहली सूची बुधवार को जारी कर दी।
उम्मीदवार नजर आ रहे है बेचैन
तेजस्वी यादव कांग्रेस व राजद खेमे के गठबंधन (महागठबंधन) का नेतृत्व कर रहे हैं। फिलहाल महागठबंधन में सीट बंटवारे पर कोई सहमति नहीं बन सकी है। इस वजह से जीतन राम मांझी ने तो महागठबंधन से पहले ही किनारा कर लिया थी। वहीं मंगलवार को उपेंद्र कुशवाहा भी महागठबंधन का साथ छोड़ गये। राजद व कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही हैं। पर समस्या उन प्रत्याशियों की है जो नामांकन दाखिल करने की तैयारी में हैं पर उन्हें समझ नहीं आ रहा कि टिकट मिलेगा या नहीं।
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