... तो छत्तीसगढ़ में इस फार्मूले पर चल सकती है भाजपा

चन्द्रकान्त शुक्ला -
छत्तीसगढ़ में बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर कयासबाजियों का दौर जारी है। कोई आदिवासी मुख्यमंत्री बता रहा है, कोई साहू, कोई महिला तो कोई फिर से डा. रमन को ही मुख्यमंत्री बता रहा है। लेकिन कौन बनेगा मुख्यमंत्री ? यह तो केवल भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही बता सकता है। बहरहाल कयासबाजियों के इस दौर में कुछ पुख्ता संकेत जो मिल रहे हैं, उसके मुताबिक लोकसभा चुनाव तक डा. रमन सिंह ही मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं। उनको दो डिप्टी सीएम असिस्ट भी कर सकते हैं। इनमें से एक साहू हो सकता है। इस पद के लिए स्वाभाविक दावा बनता है प्रदेश भाजपाध्यक्ष अरुण साव का। वहीं दूसरा डिप्टी सीएम कोई आदिवासी हो सकता है। इस पद के लिए अनेक दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं। इनमें सबसे पहला और स्वाभाविक दावा बनता है पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और प्रदेश भाजपाध्यक्ष रहे विष्णुदेव साय का। वहीं वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह भी महिला होने के नाते स्वाभाविक दावेदार प्रतीत होती हैं। वहीं सरगुजा से ही एक और कद्दावर नेता पूर्व मंत्री, पूर्व राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम दूसरे डिप्टी सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं।
ये तो हुई कयासबाजियों के बीच मिल रहे इशारों से निकली बातें। लेकिन जिस तरह से इन दिनों देश में ओबीसी पालिटिक्स चल रही है और भाजपा उस मुद्दे को भी विपक्ष से छीनने पर आमादा दिख रही है, उसके मुताबिक तो यह साफ समझ में आता है कि, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व एक बार ही फैसला लेते हुए किसी ओबीसी नेता को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपेगी। अब यदि ऐसा हुआ तो दो नाम सामने आते हैं। पहला प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का और दूसरा ओपी चौधरी का। लेकिन जिस तरह से भाजपा को छत्तीसगढ़ में बंपर जीत और बंपर वोट मिले हैं, उसमें प्रदेश के साहू मतदाताओं की बड़ी भूमिका रही है। छत्तीसगढ़ में लगभग 12 से 14 फीसदी साहू जनसंख्या मानी जाती है। प्रदेश के साहू समाज ने छत्तीसगढ़ में पहली बार साहू मुख्यमंत्री बनते देखने के लिए एकतरफा वोटिंग की है। वैसे प्रदेश का साहू समाज भाजपा और कांग्रेस के बीच लगभग बराबर की संख्या में बंटा होता है। पिछली बार दुर्ग ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू में समाज को मुख्यमंत्री बनने की काबिलियत दिखी थी, और कांग्रेस की बड़ी जीत में साहू मतदाताओं ने बड़ी भूमिका निभाई थी। लेकिन ताम्रध्वज न तो मुख्यमंत्री बन पाए और न ही बतौर मंत्री ही उनकी प्रदेश में कोई खास चलवा चलती रही।
जब भाजपा ने अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया और कांग्रेस में ताम्रध्वज साहू का हश्र देखने के बाद साहू समाज का झुकाव भाजपा की ओर होने लगा था। इस बात से भाजपा के कर्ताधर्ता भी अनभिज्ञ नहीं हैं। ओम माथुर जैसा कुशल संगठक और चुनावी व्यूव्ह रचना का माहिर खिलाड़ी प्रदेश में साहू समाज की भूमिका इस जीत में कितनी बड़ी रही है, यह भांप न पाए हों... ऐसा हो नहीं सकता। पीएम मोदी पहले ही छत्तीसगढ़ में साहू समाज की भूमिका से अवगत हैं। बिरनपुर कांड के बाद ईश्वर साहू को साजा से दिग्गज मंत्री के खिलाफ मैदान में उतारने वाले भाजपा के चुनावी चाणक्य अमित शाह भी इस समाज की अहमियत समझते हैं। अब यदि पार्टी इसे वन टाइम इनवेस्टमेंट की तरह देखकर आगे बढ़ती है और अरुण साव को सीएम बनाती है तो छत्तीसगढ़ में एक बड़ा जनाधार लंबे समय के लिए भाजपा अपने पाले में ला सकती है।
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