1 करोड़ का इनामी सेंट्रल कमेटी मेंबर अक्की राजू की मौत

जगदलपुर. सीपीआई माओवादी संगठन के सेन्ट्रल कमेटी मेंबर अक्कीराजू हरगोपाल उर्फ रामकृष्ण उर्फ आरके ने बस्तर के जंगल में इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। बस्तर के बीहड़ों में लगातार तीसरे सेण्ट्रल कमेटी मेंबर की मौत से माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है। आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले के रहने वाले माओवादी नेता के मौत की पुष्टि सेंट्रल कमेटी प्रवक्ता अभय ने भी तेलगू भाषा में जारी प्रेस विज्ञप्ति में कर दी है।
रामकृष्ण उर्फ आरके की किडनी फेल होने से 14 अक्टूबर को 63 साल की उम्र में मौत हो गई। सेंट्रल कमेटी के सदस्य रामकृष्ण पर अलग अलग सरकारों ने लगभग 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। छग में इस पर 40 लाख का इनाम था। जारी विज्ञप्ति में अभय ने बताया है कि 14 अक्टूबर की सुबह 6 बजे अक्की राजू की मौत हो गई, वहीं गुरुवार को ही दोपहर में शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। हालांकि उसकी मौत बस्तर के किस इलाके में हुई, इसका जिक्र नहीं किया गया है।
गुंटूर जिले के पलनाड़ में हुआ था जन्म, ऐसे बना नक्सली
अक्की राजू का जन्म 1958 में आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के पलनाड में हुआ था। इनके पिता स्कूल टीचर थे। अक्की राजू ने वारंगल से 1978 में पीजी किया था। इस दौरान उन्होंने कुछ समय तक अपने पिता के साथ एक शिक्षक के रूप में काम किया। इसी दौरान नक्सल आंदोलन से उनका जुड़ाव हुआ और 1980 में माओवादियों के गुंटूर जिला पार्टी सम्मेलन में भाग लिया। तथा 1982 में विधिवत नक्सल संगठन में शामिल हो गए। पार्टी ने रामकृष्ण को 1986 में गुंटूर इलाके का जिला सचिव बनाया। इसके बाद 1992 में वे स्टेट कमेटी मेंबर चुने गए। इसके बाद 4 वर्ष तक दक्षिण तेलंगाना आंदोलन का नेतृत्व किया। वर्ष 2000 में आंध्र के स्टेट सचिव चुने गए, इसके बाद वर्ष 2018 में अक्की राजू को माओवादियों के केंद्रीय समिति द्वारा पोलित ब्यूरो में नियुक्त किया गया था।
2018 में बनाया गया सेंट्रल कमेटी मेंबर
आरके सेंट्रल कमेटी मेंबर के साथ ही एओबीएसजेडसी का सेक्रेटरी रहा है। वर्ष 2018 में उसे सेंट्रल कमेटी पोलित ब्यूरो का मेंबर बनाया गया था। संगठन में रहते हुए ही आरके का विवाह नक्सली सिरीशा से हुआ था, दोनों से एक बेटा मुन्ना उर्फ पृथ्वी हुआ। मुन्ना भी माओवादी संगठन में था, जिसे वर्ष 2018 में ओडिशा के मलकानगिरी जिले के रामगुड़ा में एक एनकाउंटर में मार दिया गया था। प्रेस नोट में बताया गया कि किडनी की बीमारी के इलाज के लिए उनका डायलिसिस शुरू किया गया था, इसी दौरान उसकी किडनी फेल हो गई, जिससे मौत हो गई।
शांति वार्ता से मिली थी अलग पहचान
2004 में आंध्रप्रदेश की तत्कालीन वाय एस राजशेखर रेड्डी सरकार के साथ माओवादियों की एक शांति वार्ता हुई थी। इसका माओवादियों की ओर से सेंट्रेल कमेटी मेंबर अक्की राजू ने नेतृत्व किया था। इस वार्ता के बाद अक्की राजू को एक अलग पहचान मिली थी। हालांकि आंध्र सरकार के साथ की गई यह शांतिवार्ता असफल हो गई थी।
इलाज के अभाव में मौत, सप्लाई नेटवर्क पर असर
2 वर्ष में बस्तर के जंगलों में सेण्ट्रल कमेटी मेंबर की यह तीसरी मौत है। इससे पूर्व रमन्ना व हरिभूषण की उपचार के अभाव में मौत हो गई थी। बस्तर में स्थापित बेस कैम्पों के चलते माओवादियाें के सप्लाई नेटवर्क पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। दवाई के साथ ही अत्यावश्यक सामग्री की आपूर्ति नहीं होने से माओवादियों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।
- सुंदरराज पी., आईजी, बस्तर
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