किडनी बीमारी से मरे 117, डायलिसिस मशीन लगी, पर स्टाफ नहीं, एक्सरे मशीन डिब्बे में बंद

किडनी बीमारी से मरे 117, डायलिसिस मशीन लगी, पर स्टाफ नहीं, एक्सरे मशीन डिब्बे में बंद
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इलाज की पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को करना पड़ रहा 200 किलोमीटर का सफर

गोरेलाल सिन्हा. गरियाबंद. छत्तीसगढ़ का सुपेबेड़ा प्रशासनिक उपेक्षाओं के कारण ग्रामीणों के लिए मौत का इलाका बन गया है। किडनी की बीमारी से हो रही मौत को रोकने और मरीजों को नजदीकी उपचार उपलब्ध कराने के लिए शासन ने यहां डाइलिसिस मशीन को स्थापित करा दी है, लेकिन इसे ऑपरेट करने के लिए कोई ट्रेंड स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई है। यहां रहने वालों को कहना है कि इस बीमारी से करीब 117 लोगों की मौत हो चुकी है। मामले में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां अब तक इस बीमारी से 78 लोगों की मौत हुई है।

जानकारी के मुताबिक 72 लोग आज किडनी बीमारी के मरीज हैं, जिनमें से 2 लोग एम्स रायपुर में भर्ती है, जिनका डायलिसिस हो रहा है। वहीं एक महिला इलाज के अभाव में मौत का इंतजार कर रही है। देवभोग में इलाज नहीं मिलने से पीड़ित लोग 220 किमी दूर रायपुर की चक्कर लगाते है। रायपुर में भी सही इलाज नहीं मिलने से अधिकांश मरीज ओडिशा या विशाखापटनम में इलाज के लिए जाते हैं।

शुद्ध पेयजल को तरसता गांव

सरकार ने तेल नदी से ग्रामीणों को शुद्ध पानी देने का वादा किया है, लेकिन अब तक ग्रामीणों को शुद्ध जल नहीं मिल सका है। अंतिम छोर के देवभोग में स्वास्थ्य सुविधा वेंटिलेटर पर है। लाख प्रयास के बाद भी क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की आज भी दरकार है। देवभोग के सुपेबेडा गांव किड़नी बीमारी को लेकर हमेशा से सुर्खियों में है। सरकार यहां के लोगों को सभी तरह के स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का दम भरते रहता है, लेकिन इसकी ज़मीनी सच्चाई इसके उलट है। सरकार ने किडनी बीमारी से ग्रसित लोगों को देवभोग में डायलिसिस यूनिट की सुविधा देने वादा किया है। देवभोग में डायलिसिस मशीन साल भर पहले पहुंच भी चुकी है, लेकिन डायलिसिस मशीन के लिए कोई ट्रेंड पर्सन (एक्सपर्ट) नहीं है, जो इस पर काम कर सके।

चार सालों में नहीं शुरू हुई एक्सरे मशीन

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवभोग में चार साल पहले एक्सरे मशीन स्थापित किया गया है, लेकिन एक्सरे मशीन भी अब तक शुरू नहीं हो सका है। इससे स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं का आंकलन किया जा सकता है। मशीन के चालू नहीं होने के पीछे का कारण लोवोल्टेज बताया जा रहा हैं। मशीन को शुरू करने के लिए स्टेप्लाइज़र भी लगाया गया था, लेकिन वह भी खराब हो गया। वहीं उसे सुधार करने के लिए दिल्ली की टीम भी आई थी, लेकिन वह नहीं बन सका।

टेक्निकल स्टाफ नहीं

टेक्निकल स्टाफ नहीं होने के कारण डाइलिसिस मशीन शुरू नहीं हुई है। इसके लिए शासन स्तर पर पत्राचार किया गया है। वहीं, वोल्टेज समस्या के कारण एक्सरे मशीन शुरू नहीं हो पाई है। इसके लिए जनरेटर की व्यवस्था की जा रही है। इसे लेकर भी पत्राचार किया गया है।

- डॉ. एनआर नवरत्न, सीएमएचओ, गरियाबंद

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