बीते 4 माह मे कोरोना से 130 लोगों की मौत, इन्होंने नहीं लगवाई थी वैक्सीन, टीका लगवाने वाले 63560 घर में ही ठीक

विकास शर्मा. रायपुर. कोरोना के खिलाफ वैक्सीन कितनी जरूरी है इसे समझना है तो बीते 4 महीने की स्टेट आडिट डेथ कमेटी की रिपोर्ट को समझिए। कमेटी ने बीते 4 महीने में कोरोना से मरने वाले 130 लोगों की मौत की जांच की तो पता चला कि उनमें से किसी ने भी वैक्सीन नहीं लगवाई थी। इन्हीं 4 महीने में करीब 63560 हजार लोग संक्रमित हुए। जिन्होंने वैक्सीन लगवाई वे सभी स्वस्थ्य हो गए।
विशेषज्ञ इस बात का हवाला हमेशा देते रहे हैं कि कोरोना से बचाव का एकमात्र तरीका वैक्सीन है। वैक्सीन की दोनों खुराक लगने के बाद मानव शरीर में ऐसी प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, जो वायरस को शरीर पर हावी नहीं होने देती और स्थिति जानलेवा नहीं होेती। पिछले तीन माह से प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़े घटे हैं। इस दौरान 130 लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जिसकी वजह वैक्सीन नहीं लगवाना था। कोरोना से होने वाली मौतों का ऑडिट करने गठित कमेटी ने मौतों के कारणों का अध्ययन करने के बाद इस बात का खुलासा किया है। कोरोना की रफ्तार प्रदेश में पिछले 4 माह से लगातार कम होती जा रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक जिन्होेंने वैक्सीन लगवाई है, वे भी होने वाली किसी तरह की चूक की वजह से संक्रमण के शिकार हुए, मगर बहुत जल्दी ही वे ठीक हो गए और किसी को भी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी और न ही कोरोना उनकी मौत का कारण बना।
साढ़े 13 हजार से ज्यादा मौतें
प्रदेश में अब तक कोरोना की वजह से 13 हजार 569 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे अधिक संख्या रायपुर जिले रहने वालों की है। कोरोना का सर्वाधिक दुष्प्रभाव दूसरी लहर यानी बीते अप्रैल और मई माह में नजर आया था, इस दौरान प्रदेश में जहां मौत के सारे रिकार्ड टूट चुके थे।
हर्ड इम्युनिटी से सुरक्षा
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अगर प्रदेश की एक तिहाई आबादी को वैक्सीन की दोनों खुराक मिल जाती है तो इससे कोरोना के विरुद्ध हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जाएगी। इससे वायरस का विस्तार नहीं होगा और वैक्सीन लगवाने वालों के साथ इसे लगवाने में किसी कारण से सक्षम नहीं होने वाले भी सुरक्षित हो जाएंगे।
वैक्सीन ही बचाव
ऑडिट जांच में इस तरह की बातें सामने आई हैं कि कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले लोगों को वैक्सीन नहीं लगी थी। संक्रमित होने के बाद वे देर से अस्पताल पहुंचे और जान गंवा बैठे।
- डॉ. निर्मल वर्मा, अध्यक्ष, स्टेट डेथ ऑडिट कमेटी
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