जर्जर मकानों में रहने को मजबूर 20 परिवार, प्रशासन और SECL पर अनदेखी का आरोप

कोरिया। छत्तीसगढ़ के कोरिया में भू स्खलन का दंश झेलने के बाद बेघर हुए 20 परिवारों की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। इन परिवारों को अब फिर से जर्जर और दरार पड़े मकानो में रहना पड़ रहा है।
प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए इन पीड़ित परिवारों ने अपने घरों के दरवाजों पर पोस्टर लगवा दिए हैं। पोस्टरों में लिखा है हम पीड़ित परिवार शासन प्रशासन और एसईसीएल से कोई आश्रय नहीं मिलने के बाद हम अपने क्षतिग्रस्त में रहने को मजबूर है, किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना होती है। उसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन एवं एसईसीएल की होगी।
बता दें बीते 1 फरवरी को चिरमिरी के हल्दीबाड़ी के महुआ खदान एरिया में जमीन फटने से मकानों में दरारें आ गयी थी। इसके बाद इन पीड़ित परिवारों को एक निजी स्कूल में रहने की जगह दी गयी, लेकिन स्कूल खुलने के बाद अब इन 20 पीड़ित परिवारों को फिर से अपने जर्जर व दरार पड़े मकानो में शिफ्ट होना पड़ रहा है। हालांकि एसईसीएल ने इन परिवारों के लिए मोहन कालोनी में रहने का प्रबंध किया है, लेकिन वहां उपयुक्त व्यवस्था न होने से ये परिवार मौत के मुंह में जीवन यापन करने को मजबूर है।
इस संबंध में एसईसीएल चिरमिरी जीएम घनश्याम सिंह ने कहा कि- 'प्रभावितों को एसीसीएल अपने क्वार्टर में ही दे सकता, हम मुआवजा व जमीन को लेकर कुछ नहीं कर सकते हैं। इस मामले में जिला प्रशासन ही जाने, पुराने खतरे वाली जगह में कैसे रह रहे हैं।'
वहीं इस संबंध में कोरिया कलेक्टर एस एन राठौर का कहना है कि- 'जिला प्रशासन, एसईसीएल व विधायक के साथ हुई बैठक में तय हुआ था कि उनके लिए मकानों की व्यवस्था कराई जाएगी। पास में खाली पड़े कुछ क्वार्टर में शिफ्ट होने को कहा गया था। ऐसे में खाली कैसे करा रहे हैं।'
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