बिजली के 50 लाख उपभोक्ता, नए टैरिफ की जनसुनवाई में पहुंचा सिर्फ एक

रायपुर. प्रदेश में बिजली के 50 लाख उपभोक्ता हैं, लेकिन जागरूकता का ऐसा अभाव है कि नए टैरिफ के लिए बिजली नियामक आयोग में सोमवार को जनसुनवाई में एकमात्र उपभोक्ता के रूप में मोहन एंटी ही पहुंचे। इसी के साथ व्यापारी वर्ग से न कोई संगठन पहुंचा, न ही कोई कारोबारी आया। कृषि वर्ग से जरूर कुछ लोग पहुंचे और बिजली की कीमत न बढ़ाने की मांग रखी। बिजली के लिए टैरिफ के लिए एक बार फिर से जनसुनवाई हो रही है।
हालांकि यह सुनवाई वर्चुअल रखी गई थी। इसमें ऑनलाइन तो कोई नहीं जुड़ा, लेकिन आयोग के दफ्तर में जरूर कुछ लोग सुझाव देने पहुंचे। पहले दिन तीन वर्गों के लिए सुनवाई रखी गई थी। इसमें सबसे कम घरेलू वर्ग शामिल था। प्रदेश में सबसे ज्यादा घरेलू वर्ग के ही उपभोक्ता हैं, लेकिन लगता है इस वर्ग को बिजली के टैरिफ से कोई सरोकार ही नहीं है। इस वर्ग से एकमात्र उपभोक्ता के रूप में भाजपा के नेता मोहन एंटी ही पहुंचे। उन्होंने अपने सुझाव में यह कहा कि 600 यूनिट से ज्यादा के बिल में टैरिफ बहुत अधिक है, इसे कम किया जाए। इसी के साथ उन्होंने घरेलू उपभोक्ताओं का टैरिफ न बढ़ाने की भी मांग रखी।
न चैंबर पहुंचा न कैट
राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ काॅमर्स, कैट के साथ थोक में दो दर्जन से ज्यादा व्यापारिक संगठन हैं, लेकिन जहां तक जनसुनवाई का सवाल है ताे न तो कोई संगठन पहुंचा और न ही कोई व्यापारी अपना सुझाव लेकर आया। व्यापारिक संस्थानों का टैरिफ ही सबसे ज्यादा है। इसे लेकर व्यापारी बात जरूर करते हैं, लेकिन सुझाव देने का समय आया तो कोई पहुंचा ही नहीं।
आज इनकी सुनवाई : मंगलवार को सुबह 11 से दोपहर 1.30 बजे तक उच्चदाब के सभी उपभोक्ता अपने सुझाव देेंगे। 2 से 4.30 बजे तक निम्नदाब के उद्योग के उपभोक्ता और 4.30 से 5.30 बजे तक नगरीय निकाय और ट्रेड यूनियन के सुझाव लिए जाएंगे।
कृषि का टैरिफ न बढ़ाया जाए
कृषि वर्ग के लिए राजनांदगांव के राजकुमार गुप्ता के साथ रायपुर से श्याम काबरा और कुछ अन्य लोग पहुंचे। इन लोगों ने यह बात रखी कि जब पाॅवर कंपनी की तरफ से कोई इजाफा करने का प्रस्ताव नहीं आया है तो कीमत में इजाफा नहीं होना चाहिए। इन्होंने कहा, पहले से ही कृषि का टैरिफ ज्यादा है। इसी के साथ किसानों की आय दुगुनी करने की सरकार की बात का हवाला देते हुए कृषि कार्य के लिए बिजली का टैरिफ कम करने की मांग की गई। जिन किसानों से मीटर न होने पर फीडर में खपत के आधार पर बिल लिया जाता है, उस पर रोक लगाते हुए मीटर लगाकर बिल लेने की बात कही गई।
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