कोरोना काल में 500 स्कूल हुए बंद तो घट गईं आरटीई की 10 हजार सीटें

रायपुर. कोरोना संक्रमण भले ही कम हो रहा हो, लेकिन इसका प्रभाव अब भी शिक्षा पर पड़ रहा है। कोरोना काल के दौरान आर्थिक संकट से जूझते लगभग 400 से 500 निजी स्कूल बंद हुए हैं। इनमें से कुछ शैक्षणिक सत्र 2020-21 में बंद हो चुके हैं तो कुछ इस वर्ष ताला लगाने की तैयारी में हैं। इन स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत छात्रों को प्रवेश दिया जाता था। चुंकि अब ये स्कूल बंद हो गए हैं, तो लगभग 10 हजार आरटीई सीटें प्रदेश में घट जाएंगी।
शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के साढ़े छह हजार के करीब स्कूलों में आरटीई की 81,362 सीटें थीं। इस वर्ष 6 हजार स्कूलों की 71 हजार सीटों पर ही आरटीई के अंतर्गत छात्रों को प्रवेश का मौका मिलेगा। बंद होने वाले स्कूलों में अधिकतर छोटे शहरों और कस्बों में स्थित छोटे निजी स्कूल ही हैं। हालांकि हर साल की तरह इस वर्ष भी नवीन स्कूल खोलने मान्यता के लिए आवेदन आ रहे हैं। लेकिन इनकी संख्या बंद होने वाले स्कूलों की तुलना में बहुत कम है। रायपुर में नए सत्र में 26 नए स्कूल खोलने के लिए आवेदन मिले हैं। यदि नए खुलने वाले स्कूलों की संख्या बढ़ती है तब ही आरटीई सीटों में इजाफा होगा।
अगले माह से शुरू हो सकती है प्रक्रिया
शैक्षणिक सत्र 2021-22 में आरटीई के अंतर्गत निजी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया अगले माह से शुरू हो सकती है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। निजी स्कूलों से उनके यहां कुल सीटों और आरटीई सीटों की जानकारी मांगी जाएगी। इसके पश्चात आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी। लॉटरी सहित अन्य चीजों के लिए तारीखें भी जल्द ही जारी कर दी जाएंगी। मौजूदा सत्र में आरटीई प्रक्रिया में कोरोना के कारण 7 माह का विलंब हुआ है। अगले सत्र से इसे पूर्व की भांति वक्त पर पूरा करने कोशिश की जा रही है।
इस वर्ष भी खाली रह गई सीटें
शैक्षणिक सत्र 2020-21 में भी कोरोना के कारण बीते वर्ष की तुलना में कम छात्रों ने प्रवेश लिया है। इस वर्ष रायपुर जिले में आरटीई की 3 हजार से अधिक सीटें रिक्त रह गई हैं। राजधानी में 8,651 सीटें आरटीई की थी। इसके लिए 11,035 लोगों ने आवेदन किए थे। पहले चरण की आरटीई लॉटरी के बाद 4 हजार सीटों पर प्रवेश हुआ था। दूसरे चरण की लॉटरी में 1,500 छात्रों को स्कूल आवंटित किए गए। इन्हें 15 जनवरी तक का समय संबंधित स्कूलों में एडमिशन लेने के लिए दिया गया था। कई बार मौका दिए जाने के बाद भी पालकों ने विशेष रुचि नहीं दिखाई।
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