तेलंगाना में मिर्ची तोड़ने गए 6 मजदूर 160 किमी पैदल चलकर पहुंचे बीजापुर

बीजापुर. आन्ध्रप्रदेश में कोरोना के नए स्ट्रेन मिलने से वहां लॉकडाउन है आंध्र से लगे पड़ोसी राज्य तेलंगाना सरकार भी सतर्कता बरत रही है। वहां भी सारे कामकाज पर पाबंदी लगाने की तैयारी है। जिससे बीजापुर जिले से रोजी-रोटी की तलाश में अन्य राज्य में गए हुए मजदूर अपने घरों की ओर वापस आने लगे है। शनिवार को जंगली, पहाड़ी और खतरनाक रास्तों से होकर 160 किमी का सफर कर 6 मजदूर तेलंगाना से बीजापुर पहुंचे।
गंगालूर मल्लापारा के रहने वाले हेमला परिवार के 6 लोग कमलेश हेमला, अनिल हेमला, बुच्ची हेमला, रीता हेमला, मुन्नी हेमला, अनिल हेमला ने बताया कि हम लोग 5 फरवरी को तेलंगाना के गुरेला गांव में मिर्ची तोड़ने का काम करने गए हुए थे। लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण वहां भी काम बंद हो गया जिसकी वजह से हम भी अपने घरों की आने का सोचने लगे। लेकिन सोचने से ही कुछ नहीं होता क्योंकि सब जगह कोरोना की वजह से लॉकडाउन है। जिस वजह से हमारे पास अपने घरों में पहुंचने का कोई साधन नहीं था। पैदल अपने घरों पर आने की ठानी। हम लोग पैदल ही गुरुवार को तेलंगाना से अपने घरों की ओर निकल गए। हमारे सामने बहुत सारी कठिनाई आयी जंगल, पहाड़ और खतरनाक जंगलों से होकर हमने 160 किमी का पैदल सफर तय किया। रास्ते में भूख से निपटने के लिए हमने साथ में राशन रखा हुआ था। हम 6 मई से निकले थे हमने पामेड़, धर्मारम, अन्नारम से तारलागुड़ा होते हुए जंगल रास्तों से मोदकपाल पहुंचे जहां से हमें गाड़ी मिली और हम बीजापुर पहुंच गए। लॉकडाउन की वजह से सिर्फ 5 से 7 हजार ही कमा पाए। कोरोना की वजह से हमें बहुत नुकसान हुआ है।
नाबालिग ने भी नापा 160 किमी
इन 6 मजदूरों में एक नाबालिग रीता हेमला शामिल है। जो अपने परिवार का सहारा बनने के लिए तेलंगाना गई थी। इस मासूम ने भी अपने घर पहुंचने के लिए 160 किमी की पैदल यात्रा की। गौरतलब है कि पिछले वर्ष आदेड गांव की 12 साल की जमलो मड़कामी अपने ही गांव के कुछ लोगों के साथ काम की तलाश में मिर्ची तोड़ने तेलंगाना के पेरुर गांव गई हुई थी। लेकिन लॉकडाउन-2 लगने के बाद 16 अप्रैल 2020 को तेलंगाना से वापस बीजापुर आने के लिए अपने साथियों के साथ पैदल रवाना हुई थी।
करीब 100 किमी का जंगली सफर पैदल तय कर ही 12 प्रवासी मजदूरों का दल 18 अप्रैल 2020 को बीजापुर के मोदकपाल किसी तरह पहुंचा था। इसी दौरान डिहाइड्रेशन से 12 वर्ष की मासूम की मौत हो गई थी। जमलो की जहां मौत हुई वहां से उसका घर महज 14 किमी दूर था। इस संबंध में श्रम विभाग के अधिकारी अशोक चौरसिया ने बताया कि हम बाल श्रम मजदूरी का सर्वे करते है। हर गांव के सचिव सरपंच का काम है कि वो पलायन पंजी संधारित करे ताकि कौन गांव से मजदूरी करने बाहर जा रहा है और कौन दूसरे जगह से गांव में आ रहा है। अगर यह रिकॉर्ड मेंटेन किया जाय तो दूसरे राज्यों में पलायन करने जाने वाले लोगो को रोका जा सकता है।
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