छत्तीसगढ़ के आईएएस के एक ट्वीट से देशभर में बवाल, 'छोकरी' को पाठ्यक्रम से हटाने मुहिम

रायपुर. छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस और तकनीकी शिक्षा संचालक अवनीश शरण के एक ट्वीट से देशभर में विवाद शुरू हो गया है। ट्वीट एनसीईआरटी की पहली कक्षा की हिंदी किताब की एक कविता से संबंधित है। दरअसल इस कविता में लड़की के लिए छोकरी शब्द का इस्तेमाल किया गया है तथा उसे बाल मजूदरी करते हुए दिखाया गया है।
इन चीजों को लेकर इस कविता का विरोध किया जा रहा है। वहीं एक वर्ग ऐसा भी है, जो इस कविता के पक्ष में आ गया है। हालांकि इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम है। कविता को साझा करते हुए गुरुवार को अवनीश शरण ने एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने लिखा था- 'ये किस 'सड़क छाप' कवि की रचना है? कृपया इस पाठ को पाठ्यपुस्तक से बाहर करें।' ट्वीट के साथ ही उन्होंने कविता का स्क्रीनशॉट भी साझा किया है। इसके बाद से इसे लेकर सोशल मीडिया में बहस शुरू हो गई है।
कुछ पक्ष तो कुछ विपक्ष में
अधिकारी द्वारा किए गए ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कई लोगों ने लिखा है कि यह कविता बाल श्रम को बढ़ावा देने वाली है। लड़की के लिए जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल इसमें हुआ है, वह भी बच्चों के साहित्य के अनुकूल नहीं है। वहीं कुछ लोग इसके पक्ष में भी आ गए हैं। उनका कहना है कि छोकरी शब्द का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में सामान्य अर्थों में किया जाता है, इसलिए इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा कविता के जरिए बाल श्रम से परिचित कराने की कोशिश की जा रही है।
यह है कविता
छह साल की छोकरी
भरकर लाई टोकरी
टोकरी में आम हैं
नहीं बताती दाम है
दिखा-दिखाकर टोकरी
हमें बुलाती छोकरी
हमको देती आम है
नहीं बुलाती नाम है
नाम नहीं अब पूछना
हमें आम है चूसना
2006 से है पाठ्यक्रम का हिस्सा
कविता का शीर्षक 'आम की टोकरी' है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह कविता 2006 से एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक का हिस्सा बनी हुई है। इसे उत्तराखंड के कवि रामकृष्ण शर्मा खद्दर ने लिखा है। वे बच्चों का साहित्य लिखते हैं।
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