इस पुनर्वास योजना के तहत 38 एकड़ जमीन खाली कराने के लिए 268 आवास तोड़ेगी सरकार, बनाया जाएगा कॉम्प्लेक्स

राजधानी रायपुर के शांतिनगर में राज्य सरकार द्वारा लाई जाने वाली शांतिनगर पुनर्वास योजना को सरकार की मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में मंजूरी मिल गई है। अब योजना का खाका मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। वहां विचार-विमर्श के बाद कैबिनेट की मंजूरी मिलेगी। बताया गया है कि शांतिनगर में सिंचाई कॉलोनी के जर्जर सरकारी आवासों को चार चरणों में ध्वस्त कर 38 एकड़ जमीन को खाली कराई जाएगी। इसके बाद जमीन के व्यावसायिक उपयोग के लिए परिसर बनाए जाएंगे।
ताम्रध्वज के निवास पर हुई बैठक
शुक्रवार को लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू के रायपुर स्थित निवास पर बैठक हुई। इस दौरान आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डाॅ. शिवकुमार डहरिया, सचिव आवास एवं पर्यावरण अंकित आनंद और छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के आयुक्त अयाज तंबोली उपस्थित थे।
चार चरणों में पूरी होगी योजना
बैठक में सचिव आवास एवं पर्यावरण ने प्रस्तावित कार्ययोजना के बारे में बताया कि पुनर्विकास का कार्य 12 से 18 माह में चार चरणों में होगा। उन्होंने बताया कि जल संसाधन विभाग द्वारा जी, एच एवं आई टाईप के भवनों को भूमि सहित समस्त परिसंपत्तियों के साथ आवास एवं पर्यावरण विभाग को हस्तांतरित किया गया है। इन भवनों को जीर्ण-शीर्ण घोषित करने के लिए प्रकरण सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा गया है।
लोक निर्माण विभाग के सभी बी, सी, डी, ई एवं एफ टाईप आवासों को जीर्ण-शीर्ण घोषित किया जा चुका है। प्रथम चरण में 10 आवासों को हटा दिया गया है तथा 2 आवास शेष हैं। प्रथम चरण में 31 अवैध निर्मित झुग्गी-झोपड़ियां हैं, इन्हें हटाने के लिए नगर निगम के माध्यम से सर्वे कर आवंटन की प्रक्रिया जारी है।
दूसरे-तीसरे चरण में 268 आवास तोड़े जाएंगे
द्वितीय एवं तृतीय चरण में 18 ई एवं एफ टाईप के भवनों को आवंटन के बाद हटाया जा रहा है। इन्हीं दो चरणों में 268 जी, एच एवं आई टाईप के भवनों को रिक्त करना आवश्यक है। गृह निर्माण मण्डल के वर्तमान में रिक्त 268 भवनों को जीएडी पूल से उपलब्ध कराना प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि बोरियाकला में 2-3 बीएचके भवन उपलब्ध हैं। जी श्रेणी आवास के विरुद्ध 3 बीएचके तथा एच एवं आई के विरुद्ध 2 बीएचके भवन जीएडी पूल में दिए जाएंगे। इन भवनों की अनुमानित लागत 69 करोड़ 50 लाख रुपए है। चतुर्थ चरण में रिक्त किए जाने वाले आवासों का निर्माण नवा रायपुर में प्रगति पर है। कार्य पूर्ण होने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा नवीन आवंटन आदेश होने के बाद आवास रिक्त हो सकेंगे।
पीपीपी मॉडल पर होगा विकास
मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक मे निर्णय लिया गया कि भूमि विकास योजना पीपीपी माॅडल पर आधारित हाेगी। इसके अनुसार गृह निर्माण मण्डल भूमि के अग्रिम आधिपत्य पश्चात आर्किटेक्चरल फर्म के लिए निविदा आमंत्रित करेगा।
आर्किटेक्ट के माध्यम से कांसेप्ट (लेआउट) को निर्धारित किया जाएगा। निर्धारित कांसेप्ट के ऊपर निविदा आमंत्रित करते हुए भूमि के मूल्य, समायोजित भवनों की लागत, इसकी कुल राशि को ऑफर रेट माना जाएगा तथा इसके ऊपर बोली के आधार पर विकासक (प्रमोटर) का चयन किया जाएगा। विकासक आवश्यक अनुमति, भूमि विकास, भवन निर्माण, उसका विक्रय, हितग्राही से संबंधित विधिक समस्या, इन सभी कार्यों के लिए जिम्मेदार होगा।
प्रमोटर दो साल में देगा पूरी राशि
विकासक भवनों के निर्धारण में स्वयं के आर्किटेक्ट रखते हुए भवनों की रूपरेखा, उसका प्रकार, आदि निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होगा, किंतु निर्धारित कांसेप्ट का उल्लंघन नहीं कर सकेगा। विकासक को चरणबद्ध रूप में भूमि हस्तांतरण किया जाएगा। जिस चरण की भूमि उसको हस्तांतरित की जा रही है। उस चरण के समेकित भूमि मूल्य के 50 प्रतिशत राशि गृह निर्माण मण्डल के माध्यम से शासन को देय होगी।
शेष संपूर्ण राशि 24 माह के भीतर विकासक द्वारा गृह निर्माण के माध्यम से शासन को देय होगी। इस समयावधि में कोई परिवर्तन नहीं होगा तथा विलंब परिलक्षित होने पर 10 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से देय होगा एवं किसी भी स्थिति में 1 वर्ष से अतिरिक्त विलंब स्वीकार्य नहीं होगा। यह समयावधि समाप्त होने के पश्चात जिस स्थिति में कार्य होगा, उस स्थिति में विकासक को पृथक करते हुए अधिग्रहित किया जाएगा।
हाउसिंग बोर्ड की रहेगी निगरानी
बैठक में निर्णय लिया गया कि समेकित भूमि मूल्य की गणना गृह निर्माण मण्डल द्वारा हस्तांतरित भवन के मूल्य एवं भूमि का प्रचलित गाइडलाइन मूल्य दोनों को जोड़कर मानी जाएगी। गृह निर्माण मण्डल आवश्यक निविदा प्रक्रिया, एमओयू-अनुबंध, कांसेप्ट एप्रूवल तथा लेआउट के अनुसार कार्य हो रहा है या नहीं, इसकी निगरानी करेगा।
गृह निर्माण मण्डल चरणबद्ध तरीके से भूमि रिक्त कर विकासक को निश्चित समयावधि में उपलब्ध कराएगा तथा विक्रय के लिए विकासक को अधिकृत करते हुए समन्वय से प्रक्रिया निर्धारित करेगा। संबंधित चरण के भूमि के कुल लागत के विरुद्ध 10 प्रतिशत राशि गृह निर्माण मण्डल को पर्यवेक्षण शुल्क के रूप में भुगतान करेगा।
संबंधित चरण के भूमि मूल्य के संपूर्ण राशि के भुगतान होने पर पाॅवर ऑफ अटॅार्नी प्राप्त कर विकासक फ्री-होल्ड पर विक्रय कर सकेगा, किंतु इसमें शासन का भूमि स्वामित्व समाप्त होगा। यदि लाॅग लीज के माध्यम से विकास किया जाता है तो लाॅग लीज की स्थिति में प्रीमियम के अतिरिक्त लीज अवधि के लिए लीज रेंट की राशि प्राप्त होगी, किंतु एकमुश्त राशि जो फ्री-होल्ड विक्रय में होगी, उससे कम की प्राप्ति होगी। अतः लीज आधार या फ्री-होल्ड विक्रय के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
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