एसी, कूलर और पंपों ने तोड़ा रिकार्ड, 20 साल में पहली बार बिजली की खपत 4900 मेगावाट पार

रायपुर. मानसून में बिजली की रिकार्डतोड़ खपत हो रही है। इतिहास में पहली बार बिजली की खपत इस कदर बढ़ी है। बारिश न होने के कारण उमस से लोग बेहद परेशान और बेचैन हैं। इसके कारण दिन-रात एसी और कूलर चलाना मजबूरी है। ऐसे में खपत 49 सौ मेगावाट के पार हो गई है। इसके पहले कभी भी मानसून में इतनी खपत नहीं हुई थी। गर्मी में जरूर एक साल खपत 47 सौ मेगावाट के पार होकर 48 सौ मेगावाट के करीब पहुंच गई थी। खपत की आपूर्ति के लिए सेंट्रल सेक्टर से अपने शेयर से ज्यादा बिजली लेने की जरूरत पड़ रही है।
इस माह के प्रारंभ में बिजली की खपत बारिश के कारण तीन हजार मेगावाट के आसपास थी, लेकिन पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय से बारिश न होने के कारण गर्मी जैसी स्थिति निर्मित हो रही है। इस समय की जो स्थिति है, वह गर्मी से भी ज्यादा घातक है। इस समय असल में उमस हो रही है। उमस के कारण लोगों को भारी बेचैनी और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उमस से बचने के लिए लोग एसी और कूलर का सहारा ले रहे हैं। एसी तो फिर भी काम कर रहे हैं, लेकिन कूलर का असर ही नहीं हो रहा है। पंखे से भी कोई राहत नहीं मिल रही है।
सेंट्रल सेक्टर का सहारा
छत्तीसगढ़ राज्य उत्पादन कंपनी के पास अपना उत्पादन करीब तीन हजार मेगावाट होता है। इस समय यह उत्पादन 22 सौ मेगावाट के आसपास हो रहा है। खपत ज्यादा होने के कारण बिजली की आपूर्ति के लिए 23 से 24 सौ मेगावाट तक बिजली सेंट्रल सेक्टर से लेनी पड़ रही है। सेंट्रल सेक्टर से प्रदेश का शेयर दो हजार मेगावाट तक का है, लेकिन खपत ज्यादा होने की वजह से ज्यादा बिजली लेनी पड़ रही है।
पहली बार इतनी खपत
प्रदेश में पहली बार बिजली की खपत 4905 मेगावाट तक पहुंची है। इस समय गर्मी की वजह से जहां एसी और कूलर लगातार चल रहे हैं, वहीं पर्याप्त बारिश न होने के कारण प्रदेश में लाखों कृषि पंप भी चल रहे हैं। इस वजह से रिकार्डतोड़ खपत हो रही है।
- अंकित आनंद, अध्यक्ष, राज्य पॉवर कंपनीज
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