एसी, फ्रिज, कूलर कारोबारियों को रोज दस करोड़ का फटका

एसी, फ्रिज, कूलर कारोबारियों को रोज दस करोड़ का फटका
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राज्य की राजधानी रायपुर के साथ प्रदेश के 20 जिलों में लगे लॉकडाउन ने ऐन गर्मी के सीजन में एसी, फ्रिज और कूलर कारोबारियों की जान निकाल दी है। रोज का कारोबारियों को दस करोड़ का फटका लग रहा है। सात दिनों में 70 करोड़ का कारोबार तो प्रभावित हो चुका है। अभी लॉकडाउन के जहां दो दिन बचे हैं वहीं इसके बढ़ने संभावना भी जताई जा रहा है।

राज्य की राजधानी रायपुर के साथ प्रदेश के 20 जिलों में लगे लॉकडाउन ने ऐन गर्मी के सीजन में एसी, फ्रिज और कूलर कारोबारियों की जान निकाल दी है। रोज का कारोबारियों को दस करोड़ का फटका लग रहा है। सात दिनों में 70 करोड़ का कारोबार तो प्रभावित हो चुका है। अभी लॉकडाउन के जहां दो दिन बचे हैं वहीं इसके बढ़ने संभावना भी जताई जा रहा है।

कारोबारियों का कहना है कि लॉकडाउन बढ़ा तो कई कारोबरियों का दिवाला निकल जाएगा। सीजन के लिए कारोबारी ऋण लेकर लाखों का माल मंगाते हैं। माल के बिकने पर ब्रेक लग गया है। आने वाले समय में पूरे माल के बिकने की भी गारंटी नहीं है। ऐसे में कारोबारी परेशान हो गए हैं। सीजन में छह सौ करोड़ से ज्यादा का कारोबार हो जाता है।

प्रदेश में एसी, फ्रिज और कूलर का बड़ा कारोबार होता है। गर्मी के सीजन के साथ इसी समय शादियों का सीजन भी रहता है। ऐसे में यहां पर इस सीजन में जमकर खरीदारी होती है। पिछले साल तो कोरोना के कारण एक पैसे का कारोबार नहीं हो सका था। जिन कारोबारियों ने पहले से स्टॉक करके रखा था उनका पूरा पैसा ही जाम हो गया था। यह जाम स्टॉक पिछले साल जाकर नवरात्रि और दीपावली के समय बिक पाया था लेकिन इसमें एक बड़ी परेशानी यह रही कि थाेक कारोबारियों का जो माल चिल्हर कारोबारियों ने खरीदा उनका पूरा पैसा अब तक नहीं मिल पाया है।

करोडों का स्टॉक

कारोबारियों ने जब देखा कि पिछले साल दिसंबर से ही कोरोना का कहर कम हो गया है तो उन्होंने इस बार गर्मी के लिए भारी स्टॉक मंगा लिया। बड़े कारोबारियों ने पांच से दस करोड़ तक का स्टॉक मंगा लिया है। वैसे भी कारोबारी गर्मी के लिए मॉल का आर्डर दिसंबर और जनवरी में देकर माल मंगा लगा लेते हैं क्योंकि इस समय कई बड़ी कंपनियां स्कीम चलाती हैं लेकिन इसी के साथ यह भी रहता है कि कंपनी माल का पूरा पैसा एडवांस में लेती है। इसके लिए व्यापारी बैंकों की सीसी लिमिट का लाभ उठाकर माल ले लेते हैं। जब माल बिक जाता है तो बैंकों का पैसा ब्याज के साथ वापस कर देते हैं।

पीक सीजन में लॉकडाउन

आमतौर पर एसी, फ्रिज और कूलर की ज्यादा बिक्री अप्रैल और मई में होती है। इस बार मार्च से गर्मी पड़ने के कारण मार्च के दूसरे सप्ताह से बाजार में बिक्री की गर्मी आने लगी लेकिन अचानक मार्च के तीसरे सप्ताह से कोरोना का कहर बढ़ना प्रारंभ हो गया। कारोबारियों का कहना है कि अब तक मुश्किल से 25 फीसदी कारोबार हो सका है। कारोबार का पीक सीजन प्रारंभ ही होना वाला था कि लॉकडाउन लग गया। इस लॉकडाउन के दौरान जाे कारोबार होता, उसकी आगे भरपाई की संभावना भी नहीं है।

रोज बिकते हैं सात हजार कूलर

प्रदेश में गर्मी के सीजन में औसत रोज करीब सात हजार कूलर बिकते हैं। पूरे सीजन में करीब चार लाख कूलर बिकते हैं। इसमें से करीब एक लाख कूलर ब्रांडेड कंपनियों के और तीन लाख लोकल कूलर हैं। जहां ब्रांडेड कंपनियों के कूलर की कीमत 6 से 10 हजार तक है वहीं लोकल कूलर 5 से 7 हजार तक बिकते हैं। कुल मिलाकर करीब ढाई सौ करोड़ का कारोबार इनका होता है। इसके प्रदेश में करीब सौ बड़े थोक कारोबारी और हजारों चिल्हर कारोबारी है।

रोज हजार से ज्यादा एसी की बिक्री

एसी कारोबारियों के मुताबिक प्रदेश में सभी तरह के एसी को मिलाकर गर्मी के सीजन में 65 से 70 हजार एसी बिकते हैं यानी रोज औसत हजार से ज्यादा बिकते हैं। एक एसी की कीमत औसतन 35 हजार के आसपास है। एसी का काराेबार दो से ढाई सौ करोड़ का होता है। इसके राजधानी रायपुर सहित प्रदेश में सौ से ज्यादा थोक और बड़ी संख्या में चिल्हर कारोबारी है। सबसे ज्यादा एसी अप्रैल और मई में बिकते हैं।

प्रदेश में सभी कंपनियों की फ्रिज को मिलाकर सालभर में इसका दो से ढाई सौ करोड़ का व्यापार होता है। इसमें से 40 फीसदी यानी करीब सौ करोड़ का व्यापार गर्मी के सीजन में होता है। व्यापारियों का कहना है कि गर्मी में होने वाले कारोबार से इस बार हम लोग कम से कम वंचित नहीं होंगे ऐसी संभावना थी लेकिन एक बार फिर से लाॅकडाउन ने टेंशन बढ़ा दी है।

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