अचानकमार की शेरनी की तबीयत ख़राब, इलाज में खर्च 5 लाख, फिर भी हालत बिगड़ी

अचानकमार की शेरनी की तबीयत ख़राब, इलाज में खर्च 5 लाख, फिर भी हालत बिगड़ी
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8 जून से कानन जू में लाए गए इस बाघिन का पांच माह से उपचार चल रहा है। उसके दवाइयों के साथ ही भोजन में अब तक पांच लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है। इसके बाद भी बाघिन स्वस्थ्य नहीं हो पाई है। पढ़िए पूरी खबर।

बिलासपुर: अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगल से रेस्क्यू कर लाई गई बाघिन का कानन पेंडारी में पांच माह से इलाज किया जा रहा है। लेकिन अभी तक वह स्वस्थ्य नहीं हो पाई है। शुक्रवार की सुबह बाघिन की अचानक तबीयत बिगड़ गई। जू कीपर ने कानन अधीक्षक संजय लूथर को बताया कि बाघिन अपने पैर से उठ नहीं पा रही है। इसके चलते वह क्राल से बाहर नहीं निकल रही है। जू प्रबंधन ने पशु चिकित्सक से जांच कराया, तब पता चला कि उसके कमर में सूजन है। स्थानीय डॉक्टरों से स्थिति नहीं संभलने पर आला अधिकारियों को सूचना दी गई।

अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगल से रेस्क्यू कर लाइन गई बाघिन रजनी की तबीयत बिगड़ गई है। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। लिहाजा, इलाज के लिए दुर्ग से विशेषज्ञ बुलाना पड़ा। उन्होंने बाघिन का इंफ्रारेड फीजियोथेरैपी कराने के सुझाव दिया है। बाघिन अपने पैरों से खड़ा नहीं हो पा रही है। अचानकमार टाइगर रिजर्व में 6 जून को बाघिन को घायल अवस्था में देखा गया था। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग के कर्मचारियों को दी। लेकिन, शुरूआत में मैदानी अमले ने कोई ध्यान नहीं दिया। तब उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई। उनके निर्देश पर मैदानी अमला सक्रिय हुआ। तब जाकर दो दिन बाद 8 जून को एटीआर के हाथी के पीठ में बैठकर बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज किया गया और रेस्क्यू कर कानन पेंडारी लाया गया।

8 जून से कानन जू में लाए गए इस बाघिन का पांच माह से उपचार चल रहा है। उसके दवाइयों के साथ ही भोजन में अब तक पांच लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है। इसके बाद भी बाघिन स्वस्थ्य नहीं हो पाई है। उसकी तबीयत में सुधार होने के बजाए उल्टा हालत बिगड़ने लगी है। अब वह चलने की स्थिति में भी नहीं है। अफसरों का कहना है कि बाघिन का जन्म बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वर्ष 2009 में हुआ है। अब उसकी आयु 13 साल की हो चुकी है।

रविवार को घायल बाघिन को देखने के लिए दुर्ग के अंजोरा स्थित कामधेनु विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. एस.राय, निदेशक और सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ एंड फॉरेंसिक के डॉ.एस.एल अली, सहायक प्राध्यापक डॉ. एम.ओ. कलीम, पशुपालन विभाग के चिकित्सक डॉ. आर.एन त्रिपाठी, डॉ. अनूप चटर्जी और रायपुर के जंगल सफारी व नंदन वन से डॉ. राकेश वर्मा की टीम को बुलाया गया। टीम कानन पेंडारी पहुंचकर अचानकमार टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू कर लाई गई बाघिन का स्वास्थ्य परीक्षण किया। उन्होंने जांच के बाद कानन प्रबंधन को सुझाव दिया है कि बाघिन को इंफ्रारेड फीजियोथेरैपी कराया जाए और इसके साथ आवश्यक दवाइयां भी देते रहें। टीम के सुझाव पर अब कानन प्रबंधन बाघिन का उपचार करा रही है।

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