मेडिकल कॉलेजों के बाद स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टर भी आज से हड़ताल पर, मरीजों को और बढ़ेगी मुसीबत

रायपुर: सरकारी अस्पतालों में उपचार कराने वाले मरीजों की मुसीबत बुधवार से और बढ़ने वाली है। मेडिकल काॅलेजों के बाद स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने वाले डाॅक्टरों ने शनिवार से हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है। उनकी मांग ग्रामीण जिलों में 85 तथा सामान्य इलाकों में 75 हजार मानदेय की है।
यूनाइटेड डाॅक्टर फ्रंट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. हीरा सिंह लोधी ने बताया कि अनुबंधित डाॅक्टरों ने जिले को सीएमएचओ और सिविल सर्जन को हड़ताल पर जाने की जानकारी दे दी है। एमबीबीएस उत्तीर्ण होने के बाद इन डाॅक्टरों की नियुक्ति प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में दी गई है। उनका तर्क है कि वर्तमान में सामान्य इलाकों में उन्हें 45 तथा ग्रामीण इलाकों में 55 हजार रुपए मानदेय दिया जाता है, इसके अलावा उन्हें किसी तरह का भुगतान नहीं किया जाता। बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए उनके द्वारा मानदेय बढ़ाने की मांग की जा रही है। हड़ताल का विस्तार स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर होने की वजह से मरीजों की परेशानी और भी दो गुनी होने वाली है। मेडिकल काॅलेजों के अस्पतालों में बड़ी बीमारी के इलाज प्रभावित होेने के बाद प्राथमिक स्तर पर सर्दी, खांसी का इलाज भी उनके लिए मुश्किल हो जाएगा। दोपहर तक बस्तर, मोहला-मानपुर, सरगुजा, बालोद, महासमुंद, कवर्धा, जीपीएम, बिलासपुर, रायगढ़, धमतरी जिलों के अनुबंधित डाॅक्टरों ने हड़ताल पर जाने की सूचना दे दी थी, जिनकी संख्या और बढ़ने की संभावना है।
मेडिकल काॅलेज से हटने निर्देश
पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल काॅलेज के जूनियर एवं अनुबंधित डाॅक्टर ओपीडी-इमरजेंसी सेवा ठप करने के बाद काॅलेज कैंपस में धरने पर बैठे हैं। शुक्रवार को काॅलेज प्रबंधन द्वारा उन्हें विभागीय निर्देश का हवाला देकर धरना देने से मना किया गया। हड़ताली डाॅक्टरों ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। डाॅक्टरों ने काॅलेज और अस्पताल परिसर में सुबह रैली तथा शाम को कैंडल मार्च भी निकाला।
कम होने लगे मरीज
हड़ताल की जानकारी होने के बाद आंबेडकर अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में भी कम होने लगी है। सीनियर डाॅक्टर मोर्चा संभाले हुए हैं, मगर व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। कई मरीजों काे हड़ताल के बाद भी अस्पताल आने की सलाह भी दी जा रही है। शुक्रवार को अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या एक हजार से भी कम हो गई।
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