CG Politics : प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद निगम में सियासी हलचल तेज, अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी, कई कांग्रेसी पार्षद भी नाराज

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब रायपुर नगर निगम में भी राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हो गई है। सीएम भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले मेयर एजाज ढेबर की की कुर्सी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
कांग्रेस को शहर की चारों विधानसभा सीटों के 70 वार्डों में मिली हार के बाद कांग्रेस के पार्षदों में भी नाराजगी है। भाजपा पार्षद दल इसे भुनाने के फिराक में नजर आ रहा है। इसे लेकर मंगलवार को भाजपा पार्षद दल की बैठक दोपहर 12 बजे बुलाई गई। इसमें महापौर एजाज ढेबर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के संदर्भ में चर्चा की हुई।
नेता प्रतिपक्ष बोली-नैतिक तौर पर हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दें
रायपुर नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने कहा कि, महापौर को नैतिक तौर पर इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस के कुछ पार्षद भी इस समय बीजेपी के पक्ष में नजर आ रहे हैं। अब आज तय होगा कि, अविश्वास प्रस्ताव पर भाजपा किस तरीके से आगे बढ़ती है और कांग्रेसी पार्षदों का कितना समर्थन उसे मिलता है।
अविश्वास प्रस्ताव के लिए एक तिहाई समर्थन जरुरी
अफसरों के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एक तिहाई पार्षदों की सहमति जरूरी होती है। इसे पास करवाने के लिए बहुमत लाना जरूरी होता है। रायपुर नगर निगम में 31 भाजपा के पार्षद जीत कर आये थे। नगरीय निकाय चुनाव के बाद 29 भाजपा पार्षद रह गए थे, बाद में दो निर्दलीय भाजपा में शामिल हो गए थे। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए भाजपा बहुमत से ज्यादा दूर नहीं है।
10 कांग्रेसी पार्षद दे सकते हैं भाजपा का साथ
बातचीत के दौरान कुछ कांग्रेसी पार्षदों ने बताया कि, वे भी महापौर एजाज ढेबर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अब वो भी भाजपा का साथ देने को तैयार हैं। आकलन के अनुसार 10 कांग्रेसी पार्षद भाजपा का साथ दे सकते हैं। अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए भाजपा को सिर्फ पांच पार्षदों की जरूरत है, ऐसे में राजधानी में महापौर एजाज ढेबर की कुर्सी खतरे में है और अब रायपुर नगर निगम से कांग्रेस की बादशाहत खत्म होते दिखाई पड़ रही है।
यह है नाराजगी की मुख्य वजह
बातचीत के दौरान कुछ पार्षदों और अधिकारियों ने बताया कि, कई जनहित की फाइलें पिछले पांच वर्ष से लंबित पड़ी है। जिसकी वजह से कांग्रेसी पार्षदों में भी नाराजगी है।
कार्यप्रणाली को लेकर उठे सवाल
कई ऐसे मामले हैं जिन्हें लेकर कांग्रेसी पार्षद पिछले कई दिनों से नाराज दिखाई दे रहे हैं। कई जनहित के कार्य, विकास की योजनाएं अटकी हुई हैं। इसकी वजह से कांग्रेसी पार्षद विरोध में उतर आए हैं। फिलहाल इस पूरे मामले पर मेयर एजाज ढ़ेबर की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया है।
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