अक्षय तृतीया कल, मिट्टी से बने गुडियों के साथ साफा पगड़ी पहने का क्रेज

राजधानी सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में अक्षय तृतीय का पारंपरिक पर्व 14 मई को मनाया जाएगा। इस मौके पर मिट्टी से बने गुड्डे-गुड़ियों की पारंपरिक तरीके से आम के पत्तों से बना मंडप सजाकर विवाह किया जाएगा। बच्चों के साथ उनके माता-पिता और घर के बुजुर्ग जन इसमें शामिल होंगे। अक्षय तृतीया को देखते हुए रायपुरा के कुम्हार इस बार पाटन से मिट्टी से बने पारंपरिक पुतलों के साथ नई डिजाइन वाले दूल्हा-दुल्हन की आकृति वाले पुतले भी विक्रय के लिए बाजार में सजाए हैं।
महादेवघाट रायपुरा, कालीबाड़ी चौक, आमापारा बाजार, शीतला बाजार, गोलबाजार, डगनिया बाजार के साथ नंदी चौक टिकरापारा, भनपुरी बाजार में पसरा लगाकर ग्रामीण क्षेत्र से आए विक्रेता आकर्षक पुतले बेचते देखे जा सकते हैं।
50 से 80 रुपए जोड़ी तक डिजाइनर पुतले
अक्षय तृतीया पर्व पर बाजार में पगड़ी पहने दूल्हा और सुंदर माला लिए खड़ी दुल्हन की मिट्टी से बने डिजाइनर पुतले की कीमत 50 से 80 रुपए जोड़ी है जबकि पीले रंग वाले परंपरागत दूल्हा-दुल्हन 30 रुपए से लेकर 60 रुपए तक जोड़ी के हिसाब से बेचे जा रहे हैं। विवाह के लिए मिट्टी से बने सादा कलश 10 रुपए और रंगीन डिजाइन वाले कलश 20 रुपए प्रति नग बिक रहे हैं। विक्रेताओं के साथ छिन पत्ता से बने मौर, दुल्हन के लिए चुनरी, श्रृंगार संबंधी सामग्री की पूछपरख बाजार में हो रही है।
नहीं बढ़ा रेट, बिक्री की उम्मीद बरकरार
पाटन, अमलेश्वर, कुम्हारी से मिट्टी के खिलाैने और पुतले बेचने वालों ने बताया, मिट्टी से बने गुड्डे-गुड़ियों का क्रेज अभी भी बच्चों में बरकरार है। इसे देखते हुए इस बार पुतलों के रेट नहीं बढ़ाए गए हैं। लाकडाउन के बाद भी उनके पास ग्राहक अक्षय तृतीया पर घरों में गुड्डे-गुड़ियों की शादी रचाने खरीदी करने आ रहे हैं।
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