'जल जीवन मिशन' योजना के सारे टेंडर निरस्त, डॉ. रमन बोले- 7 हजार करोड़ की बंदरबांट शुरू

रायपुर। राज्य सरकार ने कैबिनेट बैठक में अहम फैसले लिए हैं। इस बैठक में छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक-2020 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सिविल लाइंस स्थित उनके निवास कार्यालय में इस बैठक का आयोजन किया गया था। सरकार ने औद्योगिक नीति में भी बड़े बदलाव करने का फैसला लिया है। मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित हुई। बैठक में पीएचई विभाग के जल जीवन मिशन का टेंडर निरस्त कर दिया गया है।
टेंडर रद्द होने पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार से 7000 करोड़ मिले हैं, उसकी बंदरबांट शुरू हो गई है। हर कोई अपने हिस्से के लिए लड़ रहा है पारदर्शिता नहीं है। यह गंभीर विषय है।
वहीं इस मामले में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि- जल जीवन मिशन में और भ्रष्टाचार हुआ है। इसलिए ही आनन-फानन में इसे निरस्त किया गया है। कैसे टेंडर के जरिए भ्रष्टाचार हो यह सरकार की प्राथमिकता है। विकास लोगों की जरूरत है सरकार की प्राथमिकता रही है।
दरअसल जल जीवन मिशन के ठेके में हजारों करोड़ रुपए की गड़बड़ी की शिकायत कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की थी, जिसके बाद उन्होंने इस पूरे मामले का परीक्षण कराए जाने का निर्देश जारी किया। सीएम बघेल ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए थे चीफ सेक्रेटरी आरपी मंडल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था।
बता दें पीएचई विभाग के जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों के घरों में साल 2024 तक पाइप लाइन के माध्यम से पेयजल आपूर्ति कलेक्शन निर्धारित किया गया था। अब केबिनेट की बैठक में भारत सरकार, जल शक्ति मंत्रालय, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा 'जल जीवन मिशन' के संबंध में निर्णय लिया गया कि-जल जीवन मिशन के सभी टेंडर को निरस्त करके भारत सरकार के निर्देशानुसार कार्यवाही की जाए।
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