पवन खेड़ा को राहत के साथ चेतावनी भी : जमानत के साथ सुप्रीम कोर्ट ने हिदायतें भी दीं... क्या-क्या कहा... पढ़िए...

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी के मामले में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से राहत जरूर मिल गई है, लेकिन कोर्ट ने उन्हें कुछ हिदायतें भी दी हैं। SC ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दे दी। फिलहाल मंगलवार तक उनको गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। इस बीच खेड़ा को नियमित जमानत के लिए अर्जी देनी होगी। उल्लेखनीय है कि, श्री खेड़ा को गुरुवार को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त वह इंडिगो की फ्लाइट में रायपुर जाने के लिए सवार हो चुके थे। इसके बाद पवन खेड़ा की गिरफ्तारी के खिलाफ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने मामले में सुनवाई की, जिसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एम आर शाह और पीएस नरसिम्हा शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट में पवन खेड़ा की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील रखी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी पर दिया गया खेड़ा का बयान स्लिप ऑफ तंग (गलती से कही गई बात) का मामला था, जिसके लिए खेड़ा ने तब ही माफी मांग ली थी। दूसरी तरफ असम पुलिस ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने खेड़ा को गिरफ्तार किया है और वह ट्रांजिस्ट रिमांड चाहते हैं, जिसके लिए खेड़ा को द्वारका कोर्ट लेकर जाया गया है। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने खेड़ा को राहत और चेतावनी दोनों दी।
पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट ने दी कैसी चेतावनियां
1 सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को मंगलवार तक की अंतरिम जमानत दी है। इस बीच उनको रेगुलर बेल के लिए अप्लाई करना होगा। फिर रेगुलर बेल पर सुनवाई करते वक्त कोर्ट दलीलों को सुनकर तय करेगा कि रेगुलर बेल दी जाए या नहीं।
2 कांग्रेस ने यह मांग भी की थी कि खेड़ा पर दर्ज सभी FIR को मर्ज करके रद्द कर दिया जाए। इसपर कोर्ट ने कहा कि मौजूदा स्टेज पर FIR को रद्द नहीं किया जा सकता। बस उसको दूसरी FIR के साथ मर्ज किया जा सकता है।
लखनऊ, बनारस और असम में दर्ज FIR को क्लब कर दिया
3 बयान के खिलाफ पवन खेड़ा पर दो राज्यों में केस दर्ज हुए थे। इसमें लखनऊ, बनारस और असम शामिल हैं। कांग्रेस की मांग थी कि सभी मामलों को क्लब करके एक साथ इन पर सुनवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने इसकी रजामंदी देते हुए तीनों FIR को क्लब कर दिया। कोर्ट ने यह ऑर्डर देते हुए यूपी और असम पुलिस को नोटिस भी जारी किया। यह निर्देश देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सभी एफआईआर के एक राज्य में निर्धारित कर देते हैं। ताकि वह राहत के लिए हाईकोर्ट जा सकें। अब सोमवार को कोर्ट यह तय करेगा कि इन क्लब FIR पर सुनवाई दिल्ली, यूपी-NCR या असम में से कहां हो।
बातचीत-बयानबाजी का भी कुछ स्तर होना चाहिए
4 सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की तरफ से खेड़ा को चेतावनी दी गई। चीफ जस्टिस ने खेड़ा के वकील सिंघवी से कहा कि हमने आपको संरक्षण (गिरफ्तारी से) दिया है। लेकिन बातचीत-बयानबाजी का भी कुछ स्तर होना चाहिए। इस पर सिंघवी ने कहा कि हां मैं भी इस तरह के बयान का समर्थन नहीं करता हूं। सिंघवी ने कहा कि दरअसल कन्फ्यूजन था कि असल नाम दामोदर दास है या कुछ और। मैं खुद टीवी पर बैठता हूं मैं मानता हूं कि ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था।
पवन खेड़ा पर लगाई गई हैं कौन-कौन सी धाराएं
असम पुलिस ने श्री खेड़ा पर IPC की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। इसमें 500 (मानहानि), 504 (अपमानित करना), 505 (1) फर्जी खबर फैलाना, 505 (2) समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करना, 120B (आपराधिक साजिश), 153A (माहौल बिगाड़ना), 153B(1) (देश की एकता पर चोट) शामिल है। इसमें दोषी पाए जाने पर खेड़ा को 3 से 5 साल की सजा हो सकती है।
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