आबकारी अमले का गजब खेल : अवैध शराब की आड़ में वसूली का खेल, ग्रामीण से झटके 15 हजार, देखिए कितनी बेशर्मी से कर रहे वसूली

कोरबा। सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के खात्मे को लेकर भले ही लाख दावे किए जाते रहें, कि जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया जाएगा। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। कोरबा जिले में आबकारी विभाग के वसूली वाले कारनामे आए दिन सामने आ रहे हैं। कटघोरा के पास जुराली गांव में शराब पकड़ने के नाम पर आबकारी की टीम ने एक ग्रामीण से 15,000 हजार रुपये झटक लिए। वीडियो में आबकारी टीम कई प्रकार के दावे करते नजर आ रही है।
यह बात सही है कि कोरबा जिले के कुछ गांवों में अवैध रूप से शराब बनती है और इसे बेचा जाता है। जिन लोगों को शराब बनाने की छूट मिली हुई है वह भी आबकारी विभाग की टीम का कोप भाजन बन चुके हैं और इसी को लेकर पिछले दिनों गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने प्रदर्शन भी किया था। हाल में ही एक वीडियो सामने आया है जिसमें कटघोरा के पास जुराली गांव में शराब पकड़ने के लिए पहुंची आबकारी की टीम ने कार्रवाई नहीं करने की शर्त पर ₹15000 बड़ी आसानी से हासिल कर लिए। इस पूरी कार्रवाई का वीडियो किसी जागरूक व्यक्ति ने बना लिया। इस वीडियो में आबकारी के कर्मी खाकी रंग की ड्रैस में नजर आ रहे हैं। मौके पर मामले को लेकर बातचीत की जा रही है और सौदेबाजी को अंतिम रूप देते हुए रुपए पेश करने की तस्वीर भी नजर आ रही है। इसमें एक कर्मचारी रुपए लेने मे संकोच करता दिख रहा है जिसे दूसरा कर्मी कह रहा है कि सब अपने लोग हैं।
अगला वीडियो इसी स्थान का है जहां पर रुपयों का लेनदेन किया गया। इस दौरान एक व्यक्ति ने आबकारी विभाग के एक कर्मचारी से पूछ लिया कि यहां से लिए गए रुपयों का क्या होगा। जवाब में कर्मचारी कहता नजर आ रहा है की सबका हिस्सा बटा हुआ है। दरोगा का रेट सबसे ज्यादा है।
जमीन गिरवी रख दिए रुपये
आबकारी विभाग के द्वारा अवैध शराब बनने की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई इस तरह की सूचना मिली है। ऐसे मामलों में दो प्रकार के विकल्प दिए जाते हैं या तो केस बनाओ या रफा दफा करो। दूसरी शर्त के मतलब होते हैं भारी भरकम रुपयों की व्यवस्था करो। कार्रवाई के पचड़े से बचने के लिए लोग या तो जमीन गिरवी रखकर व्यवस्था करते हैं या तो उधार लेकर। पता चला कि मौजूदा घटनाक्रम में संबंधित व्यक्ति ने अपनी जमीन का एक हिस्सा गिरवी रखने के साथ ₹15000 की व्यवस्था थी और इसे आबकारी विभाग की टीम को समर्पित कर दिया। हालांकि इस तरह का यह पहला मामला नहीं है। कहा तो यह भी जाता है कि ऐसे मामलों से ही बड़े लक्ष्य की पूर्ति संभव हो पाती हैं इसलिए इतनी रिस्क लेना तो बनता ही है। शायद इसीलिए तमाम मामलों के सामने आने पर भी दोषियों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होती।
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