social evil: फिर हुआ एक और परिवार का बहिष्कार... लोगों ने बातचीत और खाना-पीना किया बंद

राजा शर्मा-डोंगरगढ़। राजनांदगाव जिले के डोंगरगढ़ विकासखंड में एक के बाद एक गावों में सामाजिक बहिष्कार का मामला लगातार देखने को मिल रहा है। ऐसा ही मामला डोंगरगढ़ से 12 किलो मीटर दूर ग्राम कुम्हड़ा टोला से निकलकर सामने आ रहा है। जहां ग्रामीणों ने भगत बंजारे को पूरे गांव ने छः महीने पहले गांव से बहिष्कार कर दिया था। गांव के लोगों ने झूठा आरोप लगा भगत बंजारे एवं उनके बेटों के ऊपर थाने में मामला भी दर्ज करवा दिया था। ऐसे में बंजारे परिवार न्याय के लिए छः महीनो से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे।
पूर्व में भी कर दिया गया था बहिष्कार
सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद भी जब परिवार को कही से न्याय नही मिला तो उनके परिवार ने अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल में बैठने का फैसला कर कलेक्टर के नाम एसडीएम को ज्ञापन दिया ज्ञापन में पूरा परिवार भूख हड़ताल में बैठने की बात कही। भूख हड़ताल का नाम सुनते ही प्रशासन हील उठा और तहसीलदार, थाना प्रभारी की संयुक्त टीम बना गांव में ही न्यायालय लगा दोनों पक्षों को सुना पूरा मामला को सुनकर थाना प्रभारी राम अवतार ध्रुव ने अच्छे विवेक का परिचय देते हुए गांव के लोगों एवम् बंजारे परिवार के बीच सामंजस बना पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाया था।
पढ़े-लिखे लोग कर रहे यह कृत्य
सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज के समय में भी छुआ-छूत, बहिष्कार जैसी रूढ़ीवादी परम्परा देखने को मिल रही है। इसको लेकर आज भी लोगों में जागरूकता की आवश्यकता है। सोचने की बात तो यह है शिक्षित व्यक्तियों द्वारा ऐसा कृत्य किया जा रहा हैं। पहले लोगों द्वारा शिक्षा का अभाव था तो यह परम्परा चल रहा था लेकिन आज हमारा देश हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है वही पर शिक्षित लोगों द्वारा यह परम्परा में चल अपने ही लोगों के साथ ऐसा कृत्य कर रहे हैं। गांव के अन्दर समाज के अन्दर अपना कानून बना कर चला रहे हैं। इनको भारत के संविधान से कोई लेना देना नहीं है । प्रशासन को तो गांव गांव जाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। अन्यथा ऐसी कुरीति हमेशा चलते रहेगी और कई परिवार ऐसे ही प्रताड़ना सहते रहेगें।
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