बाघ ने ही किया था शावक का शिकार: कैमरे में कैद हुई बाघ की तस्वीरें

बाघ ने ही किया था शावक का शिकार: कैमरे में कैद हुई बाघ  की तस्वीरें
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टिंगीपुर क्षेत्र में जिस जगह पर शावक का शव मिला है, वहां आसपास मेल टाइगर के पग मार्क मिले हैं। उसके आसपास ही बाघिन के भी पर्ग मार्क मिलने की बात कही गई। यही वजह है कि बाघ की मौजूदगी का पता लगाने के लिए वन विभाग ने टिंगीपुर और आसपास के क्षेत्र में 19 ट्रैप कैमरे लगाए थे। पढ़िये पूरी खबर-

बिलासपुर। मुंगेली जिले के अचानकमार टाइगर रिजर्व (ATR) के टिंगीपुर में शावक की मौत मेल टाइगर के शिकार से हुई है। टिंगीपुर और आसपास के एरिया में लगाए गए ट्रैप कैमरे में बाघ की तस्वीर कैद हुई है। इसके बाद टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि टाइगर के हमले से ही शावक की मौत हुई है। अब वन विभाग के अफसर कैमरे के मैमोरी चिप से मिले तस्वीरों का एनालिसिस कर यह पता लगा रहे हैं कि टाइगर पुराना है या फिर ATR में बाघ की संख्या बढ़ी है।

बाघ के शावक को जंगल में छोड़ कर एक फीमेल और दो मेल टाइगर ATR के बाहर घूम रहे हैं। इससे टाइगर की सुरक्षा को लेकर खतरा है। ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि एक बाघ रेलवे लाइन पार कर गांव तक पहुंच चुका है, जिसने भैंस पर हमला किया था। तीनों बाघ कहां है, यह वन विभाग के अफसरों को भी पता नहीं है। इसकी जानकारी जुटाने में विभागीय अमला नाकाम रहा है। अफसरों को टाइगर के दहाड़ने बस की सूचना है।

गांवों में मिले बाघ के पग मार्क

टिंगीपुर क्षेत्र में जिस जगह पर शावक का शव मिला है, वहां आसपास मेल टाइगर के पग मार्क मिले हैं। उसके आसपास ही बाघिन के भी पर्ग मार्क मिलने की बात कही गई। यही वजह है कि बाघ की मौजूदगी का पता लगाने के लिए वन विभाग ने टिंगीपुर और आसपास के क्षेत्र में 19 ट्रैप कैमरे लगाए थे। दूसरी तरफ बिलासपुर वन मंडल के पिपरतराई क्षेत्र में भी बाघिन के पग मार्ग मिलने की बात सामने आई है।

टिंगीपुर और आसपास के एरिया में लगाए गए ट्रैप कैमरे के चिप को 15 दिन बाद कैमरे से निकालकर देखा गया तो इसमें मेल टाइगर की तस्वीर कैद हुई है। वन अफसरों ने कैमरे में बाघ की तस्वीर आने की पुष्टि की है। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि शावक पर हमला टाइगर ने ही किया था। हालांकि, अभी टाइगर की तस्वीर को वन अफसरों ने सार्वजनिक नहीं किया है। बताया जा रहा है कि एनालिसिस करने के बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा।

हाथी से कर रहे थे पेट्रोलिंग

ATR प्रबंधन ने दोनों मेल टाइगर और फीमेल टाइगर को खोजबीन करने के लिए ट्रैप कैमरे के साथ राजू हाथी की भी मदद ली थी। इसमें चढ़कर वन विभाग के कर्मचारी जंगल में पेट्रोलिंग कर बाघ-बाघिन का पता लगा रहे थे, लेकिन इसमें वन अफसरों को कोई कामयाबी नहीं मिल पाई।

ऐसे काम करता है ट्रैप कैमरा

ATR परिक्षेत्र के पेडों में बैटरी चलित ऑटोमैटिक ट्रैप कैमरा लगाया जाता है। इस कैमरे के सामने से कोई भी गुजरता है तो कैमरा ऑटोमैटिक क्लिक हो जाता है और उसकी तस्वीर कैद हो जाती है। जहां शावक का शव मिला था। उस जगह के साथ ही आसपास इस तरह से ट्रैप कैमरे लगाए गए। ताकि, बाघ-बाघिन की मौजूदगी का पता चल सके।

तस्वीरों का कर रहे एनालिसिस

वन विभाग के अफसरों का कहना है कि ATR में पूर्व से मौजूद बाघ की तस्वीरें उपलब्ध हैं। इन तस्वीरों के साथ ही कैमरे में कैद हुए नए तस्वीर का मिलान किया जा रहा है। इससे नए बाघ की पहचान करने में मदद मिलेगी। इससे यह भी पता लगेगा कि ATR में बाघ की संख्या बढ़ी है या नहीं। साथ ही यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि कैमरे में कैद बाघ की तस्वीर पुराने बाघ की है या फिर नया बाघ आया है।

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